गुरु पूर्णिमा व चातुर्मास के मंगल कलश की स्थापना के शुभावसर पर भक्तजन आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण जी के दर्शनकर मंगल आशीर्वाद लेगें।

City24news/अनिल मोहनिया
–तीर्थंकरों की भूमि हस्तिनापुर में भक्तजन लेगे,आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण जी मुनिराज का जनकल्याण के निमित्त मंगल आशीर्वाद
-हस्तिनापुर में होंगे,एक पंथ दो काज
नूंह |वात्सल्य मूर्ति आचार्य श्री 108 ज्ञान भूषण जी मुनिराज रत्नाकार का हस्तिनापुर में 33 वां वर्षायोग के गुरुपूर्णिमा व मंगल कलश स्थापना के शुभावसर पर महाराज श्री के दर्शन कर जनकल्याण के निमित्त मंगल आशीर्वाद लेगे। उक्त जानकारी भक्तजन रजत जैन ने देते हुए बताया की ये हमारा जन्म जन्म का सौभाग्य है की मुनिराज श्री का संसघ 33 वां वर्षायोग हस्तिनापुर में हो रहा है। । उल्लेखनीय है की जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से तीन तीर्थंकरों 16 वें तीर्थंकर शांतिनाथ,17 वें तीर्थंकर कुंथुनाथ ,18 वें तीर्थंकर अरनाथ की जन्मस्थली (जन्मस्थान) हस्तिनापुर हैं।रजत जैन ने बताया की जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने संसार को पंचशील का सिद्धांत बताया अहिंसा, सत्य,अचौर्य,ब्रह्मचर्य,ओर अपरिग्रह । सभी जैन मुनि,आर्यिका,श्रावक, श्राविका के लिए पंचशील के सिद्धांतों की पालना करना अनिवार्य है। मुनिराज वर्षायोग की चारमाह की अवधि में एक ही नगर/ग्राम में रहते हैं और अपने द्वारा स्वेच्छा से निर्धारित की गई सीमा में ही रमण व विचरण करते हैं। वर्षाकाल मे जीवो की उत्पत्ति अधिक होती है। जैन धर्म जियो और जीने दो,व अहिंसा परमो धर्म पर आधारित है। इसलिए जैन मुनिराज व आर्यिका,साधु साध्वी, एक ही स्थान पर रहकर अहिंसा परमो धर्म व जिओ ओर जीने दो का का प्रचार प्रसार करते हैं। ताकि प्रत्येक जीव अहिंसा के पथ पर चलकर अपना आत्म कल्याण कर सकें। रजत जैन ने बताया की 10 जुलाई के कार्यक्रम को लेकर मेवात के सर्वसमाज में उत्साह का माहौल व्याप्त है। जिसमें नगीना, फिरोजपुर झिरका, पुन्हाना, पिनगवां,साकरस, नूँह, आदि शहरों व गांवो से सर्व समाज के व्यक्ति बड़ी संख्या में मुनिराज के दर्शन करने के लिए तीर्थंकरों की पावन पवित्र पुण्य भूमि हस्तिनापुर जाएंगे ।
एक पंथ दो काज :- हस्तिनापुर जाकर भक्तजनों के एक पंथ हो काज हो जाएंगे। एक तो उनके जन्म जन्म के सौभाग्य से तीर्थंकरों की पावन पवित्र पुण्य भूमि के दर्शन हो जाएंगे वहीं दूसरे आचार्य श्री 108 ज्ञान भूषण जी मुनिराज के ससंघ, भक्तजनों को उनके दर्शनों का लाभ होगा। आचार्य श्री का जनकल्याण की भावना के साथ उनका मंगलमय आशीर्वाद आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने लिए सहज प्राप्त हो जाऐगा।