ओलंपिक पहलवान साक्षी मलिक ने उठाई पशु क्रूरता के खिलाफ आवाज

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मर्सी फॉर एनिमल्स के माध्यम से पशु क्रूरता अािनियम में की संसोधन की मांग
City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | साक्षी मलिक मर्सी फॅार एनिमल्स के एक शक्तिशाली विज्ञापन में दिखाई दी हैं। जिसमें उन्होंने अपने प्रशंसकों से पशु क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया और भारत के मुख्य पशु क्रूरता कानून में संसोधन की वकालत करते हुए सरकार को पत्र लिखा। टाइम पत्रिका में 2024 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल साक्षी मलिक ने जानवरों के साथ होने वाले विभिन्न तरह के अन्याय के बारे में जागरूकता बढाने के लिए एक प्रमुख पशु संरक्षण संगठन मर्सी फॉर एनिमल्स इंडिया फांउडेशन के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया। पदक जीतने वाली पहली महिला साक्षी पहलवान ने कहा कि अन्याय को सहना उतना ही गलत है जितना कि इसे करना,चाहे वह इंसानों के खिलाफ हो या जानवरों के खिलाफ। जानवर भी प्राणी हैं जो हमारी तरह से दर्द,डर ओर खुशी महसूस करते हैं। हर दिन लाखों जानवर चुपचाप क्रूरता ओर अन्याय सहते हैं,लेकिन खुद के लिए बोलने में असमर्थ होते हैं। उन्होंने पशु क्रूरता निवारण संसोधन विधेयक पेश करने ओर पारित करने के लिए मर्सी फॉर एनिमल्स फांउडेशन की अपील का समर्थन किया ओर माननीय मतस्य पालन,पशु पालन ओर डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह को पत्र भी लिखा।
भले ही जानवरों के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 जानवरों की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। लेकिन वह पशु क्रूरता के अधिकांश कृत्यों जैसे पिटाई या हत्या को संज्ञेय अपराधों के रूप में वर्गीकृत करने में विफल रहा। निवारण और प्रवर्तन शक्ति की यह कमी अधिनियम को कमजोर करती है। मर्सी फॉर एनिमल्स के सीईओ निकुंज शर्मा ने कहा कि जानवरों की आवाज बनने के हमारे प्रयास को साक्षी मलिक द्वारा समर्थन देने पर हम उत्साहित महसूस कर रहे हैं। सामाजिक जागरूकता आने पर पशु दुव्र्यवहार से लडने में व्यापक प्रभाव पडेगा।
जॉन अब्राहम और सौनाक्षी सिन्हा के साथ साक्षी मलिक भी मर्सी फॉर एनिमल्स इंडिया की ब्रांड एंबेसडर बन गई हैं। यह एक गैर लाभकरी अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो न्याय और धारणीय खाद्य प्रणाली का निर्माण करके औधोगिक पशु कृषि को समाप्त करने के लिए काम कर रही है। भारत, कनाडा, ब्राजील, मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका में सक्रिय इस संगठन ने 100 से अधिक फैक्ट्री फॉर्म और बूचडखानों की जांच की है। 500 से अधिक कॉर्पोरेट नीतियों को प्रभावित किया है ओर पशु कृषि में फंसे जानवरों के लिए पिंजरों पर प्रतिबंध लगाने के लिए ऐतिहासिक कानून पारित करवाने में मदद की है। कानून में संसोधन तथा आमजन की जागरूकता से पशु क्रूरता पर अंकुश लग सकता है।

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