25 मई से शुरू होगा ‘नोतपा’ सूर्य की प्रचंड गर्मी से तपेगी धरती

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-अग्नि तत्व की प्रधानता के चलते पृथ्वी पर सीधे रूप से पडेगीं सूरज की किरणें
-ये समय जलदान के साथ पर्यावरण संरक्षण का कालखंड होगा:तारांचद जोशी
City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | ज्येष्ठ मास की भीषण गर्मी के दौर में रविवार 25 मई से नोतपा काल शुरू हो रहा है। इस कालखंड में सूर्य अपने प्रचंडतम ताप और तेज के साथ रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। पंचांग व लोक मान्यताओं के अनुसार पखवाडेभर का यह समय पृथ्वी पर अग्नि तत्व के चरम प्रभाव का प्रतीक है, जिसे ‘नोतपा’ कहा जाता है। पंडित ताराचंद जोशी ने बताया कि नो तपा केवल मौसम का चक्र ही नहीं बल्कि यह अग्नि का व्रत है। ये समय मनुष्य, प्रकृति और पंचतत्त्वों की अग्निपरीक्षा जैसा होता है। सूर्य जब रोहिणी में प्रवेश करता है, तो आकाश अग्नि से दीप्त हो उठता है और पृथ्वी धधकने लगती है। यह तप, संयम, जलदान और प्रकृति-संरक्षण का कालखंड है, जब जीवन स्वयं को तपाकर शुद्ध करता है। नो तपा के दौरान वर्षा न हो, तो आगामी वर्षा ऋतु तीव्र, समय पर और फलदायी होती है। इस समय गांवों में तालाबों की सफाई, प्याऊ बनवाना, पक्षियों के दाने-पानी की व्यवसथा, गायों के लिए पेयजल की व्यवस्था को पुण्यदायी कार्य माना गया है। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक दृष्टि से यह काल सूर्य उत्तरायण होने के प्रबल चरण में आता है, जब सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं। जिसके परिणामस्वरूप तापमान 45 से 55 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है, जिससे मनुष्य, पशु और वनस्पति सभी प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि ‘नो तपा’ सूर्य को प्रातः जल अर्पित करना, जलदान, छायादान करने के साथ तुलसी-नीम की पूजा की जा सकती है। सार्वजनिक स्थलों पर शीतल जल की व्यवस्था तथा पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करने सहित वृक्षारोपण व जल स्रोतों की सुरक्षा करने का कार्य किया जा सकता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से तेज धूप से बचकर छाछ-राबडी, सत्तू, बेलपन्ना, आमपन्ना, नारियल जल, गिलोय, तुलसी युक्त पेय तथा गोंद कतीरे के पानी का इस्तेमाल करने एंव हल्का तथा शीतल आहार लिया जा सकता है।