बाल विकास से ही राष्ट्र की उन्नति संभव : उपायुक्त विक्रम सिंह
City24news/ब्यूरो
फरीदाबाद। उपायुक्त विक्रम सिंह ने बताया कि कहा कि बाल श्रम एक अभिशाप है और यह राष्ट्र की प्रगति में बाधक है, क्योंकि बच्चे राष्ट्र की भविष्य हैं। बाल श्रम से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है। ऐसे में आज हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि हम बाल श्रम के विरुद्ध आवाज उठाएंगे और बच्चों को उचित शिक्षा और सुरक्षित वातावरण प्रदान करने का प्रयास करेंगे।
उपायुक्त विक्रम सिंह ने कहा कि प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने की पहल अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने की थी, जिसका मकसद बाल श्रम को रोकना था। इसको मनाने के पीछे एक खास वजह यह थी कि बच्चों को मजदूरी न कराकर उनको स्कूलों की ओर शिक्षा के लिए प्रेरित किया जा सके। बाल श्रम लगातार एक गंभीर समस्या है, जिसके कारण बच्चों का बचपन गर्त में जा रहा है और उनको अपना अधिकार नहीं मिल पा रहा है। यह दिवस बाल श्रम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और इसको पूरी तरह से समाप्त करने के लिए व्यक्ति, गैर सरकारी संगठन एवं सरकारी संगठनों को प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है। इस साल विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का थीम “सभी के लिए सामाजिक न्याय, बाल श्रम का खात्मा (Social Justice for All. End Child Labour!) है। मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र ने बाल श्रम पर कहा है कि पिछले तीन दशकों के इस समस्या से निपटने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। यूएन के मुताबिक, अगर मूल कारणों को दूर कर दिया जाए तो बाल श्रम को खत्म किया जा सकता है।
उपायुक्त विक्रम सिंह ने कहा कि भारत सरकार ने कई समितियां और आयोग स्थापित किए हैं, जिनमें से कुछ विशेष रूप से बाल श्रम के मुद्दे पर केंद्रित है। बाल श्रम की बुराई को सामाजिक दृष्टिकोण और राजनीतिक संवेदनशीलता से ही दूर किया जा सकता है। सरकार द्वारा मजदूरों के बच्चों की देखभाल के लिए कई पहल की गई हैं ताकि वे शिक्षा और विकास से वंचित न रहें। राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) के तहत विशेष प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से अधिक से अधिक बच्चों को मुख्यधारा में लाया गया है, जहां उन्हें टयूटोरियल शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, मध्याह्न भोजन, वजीफा, स्वास्थ्य सेवाएं आदि प्रदान किए जाते हैं। बाल किशोर (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 2016 के उल्लंघन पर प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन खतरनाक या गैर-खतरनाक परिस्थितियों में काम करने वाले बच्चों की शिक्षा के लिए कारगर होगा।