साइकिल यात्रा पर पहुंचा मथुरा का युवा

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-नशा मुक्त भारत व समान शिक्षा लागू जैसी कई मांगों को लेकर बृज यात्रा।
City24news/अनिल मोहनिया

नूंह | गांव बिछोर और नीमका से गुजरने वाली ऐतिहासिक ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग से जहां इन दिनों श्रद्धालुओं का आवागमन जारी है,वहीं मथुरा के रहने वाले कृष्ण प्रजापति अपने अलग ही अंदाज में साइकिल लेकर ब्रज की यात्रा पर निकले हैं। उनकी साइकिल पर एक बैनर लगा हुआ है, जिसमें गौ माता राष्ट्रीय माता, नशा मुक्त भारत और समान शिक्षा लागू करने जैसी कई मुख्य मांगे लिखी हुई है। यात्रा के दौरान वह बीच–बीच में लोगों से मिल रहे हैं और उन्हें नशे के प्रति जागरूक भी कर रहे है। कृष्ण प्रजापति सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी हैं। जिनको फेसबुक पर 2 लाख से अधिक लोग फॉलो करते है। वह लगातार सोशल मीडिया पर भी लोगों को जागरूक करते रहते हैं।

करीब 268 किलोमीटर है बृज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग 

कृष्ण प्रजापति ने कहा कि वह 1 अक्टूबर 2025 को मथुरा से बृज 84 कोस साइकिल यात्रा कर रहे है। उनकी मांगो में मास मुक्त एवं नशा मुक्त भारत के साथ–साथ समान शिक्षा लागू कराना शामिल हैं। भारत देश सभ्यता संस्कृति को मानने वाला देश है और हमारी सनातन संस्कृति में नशा और मास वर्जित हैं। इसलिए जो वर्जित हैं उसको बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यात्रा में दौरान जहां भी उन्हें कुछ लोग मिलते है वहीं वह साइकिल को रोक लोगों को जागरूक करते है। करीब 268 किलोमीटर के इस मार्ग कई धार्मिक स्थल भी है,जहां वह बैठकर नशे को लेकर युवाओं में जागरूकता करने और राष्ट्र प्रेम की भावना जगाने का प्रयास करते है।

बृज की 84 कोस की परिक्रमा का महत्व

जानकारों के मुताबिक वेद-पुराणों में बृज की 84 कोस की परिक्रमा का बहुत महत्व है। बृज भूमि भगवान श्रीकृष्ण एवं उनकी शक्ति राधा रानी की लीला भूमि है। इस परिक्रमा के बारे में वारह पुराण में बताया गया है कि पृथ्वी पर असंख्य तीर्थ हैं और वे सभी चातुर्मास में ब्रज में आकर निवास करते हैं। हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से गुजरने वाले परिक्रमा मार्ग में परिक्रमार्थियों के विश्राम के लिए 25 पड़ाव स्थल हैं। इस पूरी परिक्रमा में करीब 1300 के आसपास गांव पड़ते हैं। कृष्ण की लीलाओं से जुड़ी 1100 सरोवर, 36 वन-उपवन, पहाड़-पर्वत पड़ते हैं। परिक्रमा लगाने से एक-एक कदम पर जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि इस परिक्रमा के करने वालों को एक-एक कदम पर अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। साथ ही जो व्यक्ति इस परिक्रमा को लगाता है, उस व्यक्ति को निश्चित ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

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