रामेश्वरदास मंदिर में हुआ मकर सक्रांति पर्व का आयोजन
भंडारे में किया प्रसाद वितरित, गायों के लिए गौशाला में लगाई सवामणी
मंदिर में लगे अति दुलर्भ चित्र व प्रतिमायें कर रही श्रद्धालुओं को आकर्षित
City24news/सुनील दीक्षित
कनीना । क्षेत्र के प्रसिद्ध रामेश्वर दास मंदिर में मंगलवार को मकर संक्रांति पर्व के उपलक्ष में समारोह का आयोजन किया गय। जिसमें दूर दराज है आए हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। भजन-कीर्तन के साथ विशाल भंडारे का आयोजन किया गया वहीं गौशाला में गायों के लिए सामान्य लगाई गई। मंदिर ट्रस्ट के प्रधान सुरेश केडिया ने बताया कि इस कार्यक्रम में हरियाणा व राजस्थान के गायक-कलाकारों ने धार्मिक भजनों की प्रस्तुती दी। उसके बाद हवन व भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया। सुरेश केडिया ने बताया कि ट्रस्ट की स्थापना सिद्ध संत महाराज रामेश्वरदास की ओर से 1973 में की गई थी। अब तक ट्रस्ट के 4 अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं जिनमें पहले प्रधान के रूप में रामशरण मित्तल, दूसरे आत्मा राम, तीसरे मोहन लाल मोदी तथा चैथे प्रधान सुरेश केडिया हैं जो वर्तमान समय में प्रधान हैं। ट्रस्ट के सभी सद्स्य भी मंदिर की मान-मर्यादा एवं उसकी ख्याति बढाने के प्रति समर्पित हैं। संभवतया यह देश का पहला मंदिर है जहां बड़े अक्षरों में रुपया-पैसा चढ़ाने की मनाही की गई है।
ट्रस्ट के सद्स्य हनुमान भारद्वाज व लक्ष्मण शास्त्री ने बताया कि रामेश्वरदास मंदिर में समय-समय पर अनेकों समारोह आयोजित किए जाते हैं, जिनमें रामनवमी, शारदीय व चैत्र नवरात्र, होली-दीपावली एवं महाराज रामेश्वरदास की पुण्यतिथि शामिल है द्य महेंद्रगढ जिला प्रशासन के अधिकारी एवं कर्मचारी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। इसके अलावा भगवान शंकर का रुद्राभिषेक व अनुष्ठान का अन्य कार्यक्रम किया जाता है।
उन्होंने बताया कि बताया कि करीब 8 एकड़ भूमि पर बने मंदिर एवं गौशला में विभिन्न देवी-देवताओं व विद्वानों के अति दुर्लभ चित्र एवं आकर्षक प्रतिमायें लगी हुई हैं। जिन्हें देखने व समझने के बाद श्रद्धालुओं को शुकुन का एहसास होता है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर हनुमानजी की विशालकाय प्रतिमा लगी हुई है वहीं द्वितीय तल पर शंकर भगवान के नंदी व शिवंलिग की स्थापना की गई है। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म के प्रारंभकाल गुरु जंभेश्वर से लेकर कलियुग तक के चित्र दिखाये गये हैं इसके साथ ही बड़े-बड़े अक्षरों में रूपया पैसा न चढावें ओर ना ही किसी को देवें लिखा गया है,जो मंदिर की खासियत को दर्शाता है। मंदिर प्रांगण में रामेश्वरदास समाधि स्थल, दुर्गा माता, रामदरबार, लक्ष्मीनारायण,शुकदेव मुनि, वृंदावन बिहारी लाल, हनुमान मंदिर, महादेव, 9 ग्रह, विराट रूप, अखंड ज्योति, संत दुल्लादास, शास्त्रीजी रामजस, शंभूदास, महिसासुर मृदनि, नरसिंह भगवान, शेष शैया, सूर्यदेव, संत तुलसीदास, अन्नपूर्णा दरबार, नंदेश्वर, भोलेनाथ, नारदजी, भक्त प्रहलाद, परशुराम, गीताभवन संस्कृत में सभी 18 अध्याय, गायत्री माता, 52 भैरव, 64 योगिनी, 9 देवी, भद्रकाली, गणेशजी, संतोषी माता, सरस्वती माता, महालक्ष्मी दरबार, वामन भगवान, भैरव, दत्तात्रेय, भगवती गंगा, यमुना जैसे दुर्लभ चित्र एवं प्रतिमायें लगी हुई हैं। जिन्हें श्रद्धालु घंटों तक निहरते रहते हैं। माना जाता है कि एक बार जो श्रद्धालु वहां पंहुच जाता है वह बार-बार जाने का इच्छुक होता है।