‘मडगांव एक्सप्रेस’ मूवी की कहानी और मूवी रिव्यू

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City24News@ भावना कौशिश
मुबंई।  कुणाल खेमू निर्देशक के रूप में किसी गहरी बात को कहने के बजाय कॉमिडी का रास्ता चुनते हैं और वे दर्शक को हंसाने और गुदगुदाने में सफल भी साबित होते हैं। हालांकि उनकी कहानी में बहुत ज्यादा नयापन नहीं है। ड्रग्स की तस्करी में पुलिस और गैंगस्टर के बीच फंसे बेगुनाह किरदारों को हम पहले भी देख चुके हैं, मगर इस देखी-दिखाई कहानी का ट्रीटमेंट कुणाल ने बेहद मनोरंजक रूप से किया है। तीन दोस्तों की दोस्ती के बहाने उन्होंने आज के सोशल मीडिया पर भी करारा तंज कसा है। फिल्म में, ‘अब सिर्फ हमारी मौत का लकी ड्रॉ निकलना बाकी है’ जैसे मजेदार संवादों और स्लैपस्टिक कॉमिडी की भरमार है, जो मनोरंजन के तगड़े डोज का असर बनाए रखती है। गैंगस्टर लेडी गैंग की मछुआरनों का चश्मे और नववारी साड़ी वाला गेटअप मजेदार लगता है। 

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‘मडगांव एक्सप्रेस’ मूवी रिव्यू

मगर गोवा जाने से पहले रेलवे प्लैटफॉर्म पर पिंकू का बैग गणपत से एक्सचेंज हो जाता है। पिंकू को जो बैग मिलता है, उसमें एक पिस्तौल के साथ ढेर सारा कैश है। कहानी में मजा तब और बढ़ जाता है, जब गोवा ऐसा करने आए ये तीनों दोस्त कोकीन तस्करों की आपसी रंजिश में फंस जाते हैं। एक तरफ है डॉन मेंडोजा (उपेंद्र लिमये) तो दूसरी तरफ है उसकी खतरनाक गैंगस्टर एक्स वाइफ कांचन कोमड़ी (छाया कदम) गैंगस्टर के इस जंजाल में उनका सामना नोरा फतेही से भी होता है, जो उन्हें एक डॉक्टर ( रेमो डिसूजा) से मिलवाती है, मगर उसकी सचाई कुछ और है। कोकीन की तस्करी के आरोप में फंसे ये तीनों दोस्त पुलिस और गैंगस्टर से बच पाते हैं या नहीं, ये देखने के लिए आपको सिनेमा हॉल जाना होगा।

‘मडगांव एक्सप्रेस’ मूवी की कहानी

कहानी कुछ ऐसी है कि डोडो (दिव्येंदु), पिंकू( प्रतीक गांधी) और आयुष (अविनाश तिवारी) तीनों बचपन के दोस्त हैं और बचपन से ही तीनों का एक सपना था कि बालिग होने के बाद वे गोवा जाकर ऐश करेंगे, मगर उनका ये सपना पूरा नहीं हो पाया। बड़े हो जाने के बाद आयुष और पिंकू विदेश में जाकर सेटल हो जाते हैं, जबकि डोडो पिज्जा डिलीवरी बॉय बनकर चॉल में रह जाता है। मगर अपने दोस्तों की अमीरी की बराबरी करने के लिए वह फोटोशॉप की हुई तस्वीरों और झूठी पोस्ट से सोशल मीडिया पर खुद को रईस दिखाने के लिए एक फरेबी दुनिया गढ़ता है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब उसके ये अमीर विदेशी दोस्त मुंबई आते हैं और गोवा जाने के बचपन के सपने को पूरा करने के लिए तैयार हो जाते हैं।(स्रोत: समाचार एजेंसी)

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