भगवान श्री राम ने समाज में व्यवस्था की सर्वोत्तम आदर्शों की स्थापना की: रजत जैन

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City24news@अनिल मोहनियां

नूंह | भगवान श्री रामप्रभु का जन्मोत्सव दिवस चैत्र शुक्ल पक्ष रामनवमी पूर्ण श्रद्धा,आस्था, निष्ठा,लग्न,उमंग,उत्साह, भक्ति भाव का महोत्सव है। उक्त जानकारी सर्वजातीय सेवा समिति के उपाध्यक्ष व रामभक्त रजत जैन ने देते हुए बताया की भगवान श्री राम प्रभु ने समाज मे नैतिक ,धार्मिक ,सामाजिक व्यवस्था की सर्वोत्तम आदर्शों की स्थापना कर समाज को एक नई दिशा प्रदान की। उनके द्वारा स्थापित सामाजिक व धार्मिक व्यवस्था प्रत्येक प्राणी मात्र के जीवन के सद्मार्ग के पथ पर चलने के लिए अत्यंत आवश्यक है। उनके द्वारा दिखाया गया सद्मार्ग प्राणी मात्र के आध्यात्मिक व सामाजिक कल्याण का पथ हैं। रजत ने बताया श्री राम प्रभु असंख्य अनंत गुणों का अपार भंडार है। जिनकी गणना करना संभव ही नहीं असंभव है ।उनके गुणों को शब्दों की माला में

पिरोया जाना असंभव है। फिर भी हम उन्हें पिरोने का प्रयास करते हैं। जैन ने बताया की उन्होंने धीर, वीर,शील ,गंभीर,तप, संयम, ज्ञान, धर्मरक्षक ,सत्य निष्ठा ,प्रेम,करुणा ,दया, सद्भावना, सहनशीलता ,सहयोग, चरित्र ,समर्पण,सेवाभाव , आदि गुणों, नियमों की पालनाकर,लोभ,मोह, माया ,लालच, अहंकार ,का त्यागकर अनेकों नियमों की पालनाकर जनमानस के लिए सर्वोच्च आदर्श मर्यादा की स्थापना जनकल्याण के लिए श्री राम प्रभु ने की। उन्होंने बताया की राजा के लिए सदैव जनता का सुख दुख व राष्ट्रहित सर्वोपरि होता है उन्होंने इसे प्रमाणित कर उत्तम राजधर्म का निर्वहन (निभाया) कर जनता के समक्ष एक उच्च राजधर्म की परिभाषा स्थापित की। वचन का जीवन में सर्वोच्च स्थान होता है इसके लिए उन्होंने पितृ भक्तिभाव के साथ अपने पिता के वचन के लिए राजपाट का त्याग कर वन जाना स्वीकार किया।रजत ने बताया की श्री राम प्रभु किसी के प्रति भी मन में द्वेष भावना नहीं रखते थे। उन्होंने युद्ध से पहले रावण के पास भी शांतिदूत भेजा था। जो इसका प्रमाण है। किसी से भेदभाव नहीं करते थे, उन्होंने माता शबरी के झूठे बेर खाये व निषादराज से उनकी घनिष्ठ मित्रता थी। वे सदैव प्रत्येक प्राणी मात्र के प्रति दया, करुणा,प्रेमभाव रखते थे।उन्होंने पक्षीराज जटायु की मृत्यु के उपरांत इनका पिता की भांति अंतिम संस्कार किया। जैन की प्राणिमात्र से अपील है की भगवान श्री राम प्रभु के द्वारा स्थापित आदर्शों को अपने जीवन में अनुसरण करने का संकल्प लेकर उनके द्वारा दिखाए गए आदर्शों पर आगे बढकर अपना धार्मिक, आध्यात्मिक व सामाजिक कल्याण करें।

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