सी.पी.आर. तकनीक की जानकारी होती है काफी लाभकारी : आईटीआई प्रिंसिपल सुधीर कुमार

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City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | स्वास्थय एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशन तथा भारतीय रैडक्रास सोसायटी राष्ट्रीय मुख्यालय एवं हरियाणा राज्य शाखा चंडीगढ़ के मार्गदर्शन में 13 से 17 अक्टूबर तक कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सी.पी.आर.) जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है।     

  इसी कड़ी में जिला उपायुक्त एवं अध्यक्ष जिला रेडक्रॉस सोसायटी नूंह अखिल पिलानी और सचिव महेश गुप्ता की देखरेख में मंगलवार को आई टी आई नूंह के परिसर में सी.पी.आर. जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में सैकड़ों विद्यार्थियों एवं अध्यापकों ने हिस्सा लिया।    

कार्यक्रम की अध्यक्षता आईटीआई मरोड़ा के प्रिंसिपल सुधीर कुमार ने करते हुए कहा कि आज के समय में किसी भी प्रकार की दुर्घटना किसी के साथ भी हो सकती है और आकस्मिक समय में सी.पी.आर. तकनीक के ज्ञान से पीडि़त के बचने की उम्मीद ज्यादा हो जाती है। उन्होंने कहा कि सीपीआर संकट की घड़ी में किसी की जान बचाने में सहायक सिद्ध हो सकता है।            

कार्यक्रम में जिला रेडक्रास सोसायटी के प्रशिक्षण अधिकारी महेश सिंह मलिक ने सी.पी.आर. की विधि का प्रदर्शन किया और बताया कि यदि किसी व्यक्ति की हृदय गति थम जाए या सांस रुक जाए तो तुरंत सी.पी.आर. देना प्रारंभ करें। प्राथमिक उपचारकर्ता को सबसे पहले खतरे को दूर करना, प्रतिक्रिया जांचना, सहायता बुलाना, वायुमार्ग साफ करना और श्वास की जांच करना चाहिए। यदि सांस न हो तो सी.पी.आर. सख्त सतह पर छाती के मध्य भाग में लगभग 100 से 120 बार प्रति मिनट की दर से लगभग दो इंच गहराई तक दबाव देकर किया जाना चाहिए। दबाव देते समय यह ध्यान रखें कि हर बार छाती स्वाभाविक रूप से ऊपर उठे। यह प्रक्रिया तब तक जारी रखनी चाहिए जब तक पीडि़त में सांस लेने के लक्षण दिखाई न दें या चिकित्सीय सहायता उपलब्ध न हो जाए। इस अवसर पर सभी उपस्थित को सीपीआर तकनीकी का उपयोग अभ्यास कराया गया तथा सभी को सीपीआर तकनीकी सीखने और स्वास्थ्य लाभ हेतु शपथ दिलाई गई। इस मौके पर जीआई अजीत सिंह एवं आईटीआई के अन्य प्रवक्ता उपस्थित रहे। 

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