बाघेश्वर धाम बागोत में एकादशी से शुरू होगा कांवड मेला

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सुरक्षा के लिए ड्यटी मैजिस्ट्रेट तथा पुलिस कर्मचारियों की होगी मेले पर नजर
मेले में सभी आपातकालीन सेवाएं रहेगीं अलर्ट मोड पर:जिला उपायुक्त

City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | हरियाणा भर में प्रसिद्व कनीना-दादरी मार्ग तथा एनएच 152डी के समीप कनीना सब डिवीजन के गांव बागोत स्थित बाघेश्वर धाम में सावन माह की त्रयोदशी के दिन शुक्रवार,2 अगस्त को भले ही मुख्य मेले का आयोजन होगा लेकिन कांवड अर्पित करने का सिलसिला एकदशी,31 जुलाई से शुरू हो जायेगा। शिवभक्त बम-बम के जयकारों के बीच प्राकृतिक स्वंभू शिवलिंग पर जलाभिषेक करेगें। इस मेले में दूर-दराज से शिविभक्त यहां आते हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से ड्यूटी मैजिस्ट्रेट सहित पुलिस कर्मचारियोंं की ड्यूटी लगाई जाती है। मंदिर के मंहत रोशनपुरी व महिपाल नम्बरदार ने बताया कि मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं।  
 बाघ के बछडी पर प्रहार से बना बाघेश्वर
नागेंद्र शास्त्री ने एक किवंदती के माध्यम से बताया कि ऋषि पिप्लाद ने यहां पर तपस्या की थी। राजा दिलीप को कोई संतान नहीं थी। जिससे वे दुखी रहते थे, ओर दुख के निवारण के लिए अपने कुलगुरू वशिष्ठ के पास गए ओर अपना दुखद वृतांत सुनाया। गुरू वशिष्ठ ने पिप्लाद ऋिषि के आश्रम में नंदिनी नामक गाय व कपिला बछडी को उपवास रखकर जंगल में चराने,भोजन कराने को कहा। अब राजा दिलीप प्रतिदिन उपवास रखकर उन्हें चराने जंगल में जाते। एक दिन शंकर भगवान ने राजा की परीक्षा लेने के मकसद से बाघ का स्वरूप धारण कर बछडी पर धावा बोल दिया। राजा की नजर जब बाघ पर पड़ी तो हाथ जोडक़र प्रार्थना करते हुए कहा कि वे गाय-बछडी को छोडकर उन्हें अपना भक्ष्य बना लें। उनका मानना था के बछडी को खाने देते तो उन पर गाय का श्राप लगता ओर गाय को खायेगा तो उनकी तपस्या पूरी नहीं हो सकेगी। ऐसा कहकर उन्हें अपने आप को बाघ के सामने पटक दिया। कुछ समय बाद कोई हरकत नहीं होने पर उन्होंने सिर उठाकर देखा तो उनके सामने बाघ के स्थान पर भोले शंकर खड़े थे। इस किवंदती के बाद इस स्थान का नाम बाघेश्वर धाम पड़ा।
प्राकृतिक शिवलिंग की महिमा
यहां पर प्राकृतिक स्व्यंभू शिवलिंग है। जिनकी महिमा निराली है। उस दौरान अनजाने में गांव की महिलाएं खेतों में जाते समय शिवलिंग को पत्थर समझकर घास खुदाई करने वाले लोहे के उपकरण,खुर्पे को घिसकर धार देती थी। इस शिवलिंग को झज्जर के नवाब फकरुद्दीन ने अपनी सेना को उखाडऩे का आदेश दिया था। लेकिन सेना इसे उखाडऩे में असफल रही। खुदाई के दौरान वहां पर काले सर्प व जहरीले जानवर निकले। जिससे सैनिक कार्य छोडक़र भाग खडे हुये थे। राजा ने यहां पर पशु मेला आयोजित करने का हुक्म दिया। जब पशु मेला लगा था तो भयकंर औलावृष्ठि हुई ओर अनेकों पशु बे-मौत मारे गए। उसके बाद राजा ने गंगा जल लेकर जलाभिषेक करते हुए पुन: मेले की शुरूआत की। उसके बाद से यहां पर कांवड़ मेला आयोजित किया जाने लगा। शिवभक्त प्रतिवर्ष सावन माह में आयोजित होने वाले मेले में शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।
केतकी के फूल को मिला श्रॉप
एक बार ब्रह्माजी व विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है। ब्रह्माजी सृष्टि के रचियता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा करत रहे वहीं भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ बता रहे थे। तभी वहां पर एक शिवलिंग प्रकट हुआ। दोनों देवताओं में सहमति से फैसला हुआ कि जो भी इस शिवलिंग के छोर का पहले पता लगाएगा उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा। दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग का छोर ढूंढने लगे। छोर न मिलने के कारण विष्णु जी लौट आए लेकिन ब्रह्माजी भी सफल नहीं हुए। परंतु उन्होंने विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पंहुच गए हैं। उन्होंने केतकी के फूल को इस बारे में साक्षी बताया। ब्रह्माजी के असत्य कहने पर वहां स्वयं शिव भगवान प्रकट हुए ओर उन्होंने ब्रह्माजी का एक सिर काट दिया ओर केतकी के फूल को पूजा से वंचित रहने का श्राप दिया। इस घटना के बाद पूजा में केतकी के फू लों का इस्तेमाल नहीं होता और ना ही ब्रह्माजी की पूजा की जाती।
जिला प्रशासन के हाथ में हाती है सुरक्षा की कमान
जिला प्रशासन की ओर से मेले में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुख्ता इंतजाम किए जो हैं। शिवमंदिर के साथ में स्वास्थ विभाग की ओर से अस्पताल संचालित कर व चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई जाती है। सभी आपातकालीन सेवाओं के अंतर्गत फायर ब्रिगेड, गोताखोर तथा एंबुलेंस को अलर्ट मोड पर रहने की हिदायत दी जाती है। मेेले के दौरान अस्थाई पुसि चौकी खोली जाती है। किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पुलिस कर्मचारियों को तैनात किया जाता है। जिला उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने बताया कि कांवड मेले को लेकर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाएगें। इस सदंर्भ में एसडीएम कनीना सहित अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

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