कनीना-दसवीं व बारहवीं कक्षा में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित करते चेयरमैन जगदेव यादव व अन्य

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-देश-प्रदेश में विभिन्न धर्मों के लोग अपना अराध्य मानते हैं भगवान शिव को
-कनीना के बृहमकुमारी ईश्वरीय विवि शाखा में दी जा रही धर्म की शिक्षा 
-बीके ममता की ओर से आयोजित किए जाते हैं सात दिवसीय शिविर 

City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | आज के आपाधापी के इस युग में आमजन धर्म-कर्म से विमुख होकर डिप्रेसन का शिकार हो रहा है। जिससे अनेकों अनेक बिमारियां जन्म ले रही हैं। जिसके चलते निजी एवं सरकारी अस्पतालों में मरीजों की लाइनें लग रही हैं। इसके विपरीत कनीना में एक ऐसा केंद्र संचालित हैं जहां प्रतिदिन अनेकों महिलाएं व पुरूष जाकर धार्मिक ज्ञान अर्जन कर आत्मिक शांति महसूस कर रहे हैं। ब्रहृमकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के नाम से संचालित इस केंद्र में देवआदि देव शिव की महिमा का गुणगान किया जाता है। केंद्र की संचालिका बीके ममता की ओर से भगवान शिव के विभिन्न स्वरूप एवं उनसे मिलने वाली प्रोरणा के बारे में शिक्षाप्रद जानकारी दी जाती है। सात दिवसीय शिविर आयोजित कर श्रद्धालुओं को धार्मिक जानकारी दी जा रही है। चारों युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर व कलियुग के कालचक्र के रूप में बताया बताया जाता है। उन्होंने बताया कि इस केंद्र में अनेकों ऐसी महिला आती हैं जिनके जीवन में बहुत से उतार-चढाव आए हैं। अनेक महिलाओं का घर बर्बाद होते-होते बचा है। ऐसे विवाद के पीछे प्रोपर्टी की लालसा तथा आपसी मतभेद शामिल थे। -देश-प्रदेश में विभिन्न धर्मों के लोग अपना अराध्य मानते हैं भगवान शिव को
-कनीना के बृहमकुमारी ईश्वरीय विवि शाखा में दी जा रही धर्म की शिक्षा 
-बीके ममता की ओर से आयोजित किए जाते हैं सात दिवसीय शिविर 

विचारों में परिवर्तन तथा भगवान शिव की शरण में आने के बाद वे महिलाएं शुकुनभरी जिंदगी जीने लगी हैं। उनकी ओर से अन्य महिलाओं को भी अघ्यात्म अपनाने पर बल दिया जा रहा है। ममता ने बताया कि भगवान शिव निराकार हैं लेकिन विभिन्न धर्मों के लोग उन्हें अपना अराध्य मानते हैं। उन्होंने बताया कि बृहमकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की देश-प्रदेश में करीब 50 हजार शाखाएं हैं जहां आमजन को ईश्वर ज्ञान की शिक्षा दी जाती है। इन केंद्रों का मुख्यालय माउंटआबू, राजस्थान में स्थित है। जहां प्रतिवर्ष धार्मिक समारोह संचालित होते रहते हैं। उन्होंने कहा कि कलियुग में धर्म की डोर पकडकर प्राणी पार उतर जाता है।

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