यूनिवर्सिटी, अरावली और नूंह-अलवर हाईवे पर उठा जनसरोकारों का मुद्दा

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-बड़कली चौक पर युवाओं की बैठक में सरकार को दी आंदोलन की चेतावनी
-नूंह की बुनियादी मांगें फिर चर्चा में आईं, 15 जनवरी को बड़ी पंचायत 
City24News/अनिल मोहनिया

नूंह | नूंह जिले की लंबे समय से लंबित समस्याओं को लेकर शनिवार को बड़कली चौक पर युवाओं और सामाजिक संगठनों ने बैठक कर गहन मंथन किया। बैठक के बाद प्रदर्शन के माध्यम से सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए गए और मांगों पर शीघ्र निर्णय न होने की स्थिति में बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई। बाइक यूनियन प्रधान तौफीक चिकारा, उप प्रधान सलीम पापड़ा ने कहा कि देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल नूंह आज भी शिक्षा, सड़क और पर्यावरण संरक्षण जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। सरकारों की अनदेखी के चलते आमजन का भरोसा कमजोर होता जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने नगीना क्षेत्र के गांव नांगल मुबारिकपुर की 180 एकड़ भूमि पर प्रस्तावित यूनिवर्सिटी को जल्द स्थापित करने की मांग की। उनका कहना था कि यूनिवर्सिटी बनने से क्षेत्र में उच्च शिक्षा के अवसर बढ़ेंगे और युवाओं को बाहर पलायन नहीं करना पड़ेगा।

अरावली पर्वतमाला को लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार के उस फैसले पर भी नाराजगी जताई गई, जिसमें 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले पहाड़ों को अरावली क्षेत्र से बाहर माना गया है। प्रदर्शनकारियों ने इसे पर्यावरण के लिए खतरनाक बताते हुए इस पर पुनर्विचार की मांग की। इसके साथ ही नूंह से अलवर को जोड़ने वाले एनएच 248-ए को लेकर गंभीर चिंता जताई गई। इसे खूनी हाईवे बताते हुए तत्काल फोरलेन निर्माण की मांग उठी। वक्ताओं के अनुसार पिछले 15 वर्षों में इस सिंगल रोड पर ढाई हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, बावजूद इसके सरकार केवल टेंडर प्रक्रिया में उलझी हुई है। प्रदर्शन में बाइक यूनियन प्रधान तौफीक चिकारा, उप प्रधान सलीम पापड़ा, अरमान ढाडोली, जावेद नगीना, यूनुस सरपंच शेखपुर, यासिर कोटला, कपिल बलई, शोएब नगीना, सद्दाम बसई खान्जादा, गुलफान कोटला, रिजवान शेखपुर सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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