अनुशासन की पाठशाला में अनुशासन हीनता

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City24news@निकिता माधोगड़िया

रेवाड़ी।  देश की सीमाओं पर जंग लड़ने वाले सैनिकों के लिए अनुशासन से बढ़कर कुछ नहीं होता। अनुशासनहीनता सेना में किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाती। सैनिक स्कूल को भी अनुशासन की पाठशाला के रूप में देखा जाता है, लेकिन पाली गोठड़ा सैनिक स्कूल में बीते दिनों अनुशासन की सभी हदें उस समय पार हो गईं, जब दर्जनों ग्रामीणों ने ऑफिस में घुसकर एडमिन ऑफिसर के साथ मारपीट व ऑफिस में तोड़फोड़ की। एडमिन ऑफिसर ने वहां से भागकर अपनी जान बचाई। एडमिन ऑफिसर ने स्कूल के प्राचार्य पर लोगों को उकसाकर हमला कराने सहित कई आरोप लगाए हैं। एडमिन ऑफिसर ने ट्रॉमा सेंटर में मेडिकल कराया है।

पुलिस ने मामले की जांच कर विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है जिसमें 9 लोगों को नामजद किया गया है। हम आपको बतां दें कुछ दिन पूर्व सैनिक स्कूल में एक महिलाकर्मी पर तीन नाबालिग छात्रों को मोबाइल से पोर्न फिल्म दिखाने व एक छात्र को   शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाने के आरोपों को लेकर एडमिन ऑफिसर अविनाश सिंह ने एसएचओ खोल को पत्र लिखा था। अविनाश का दावा है कि तीनों छात्रों की लिखित शिकायत पर जांच के बाद प्राचार्य ने ही उन्हें पत्र लिखने के निर्देश दिए थे। स्कूल की कमेटी भी मामले की जांच कर रही थी। प्राचार्य ने आरोपी महिला को निलंबित कर दिया था। इसके बाद छात्रों ने डीएसपी को बयान दर्ज कराते हुए बताया कि उन्होंने महिला कर्मचारी को सबक सिखाने के लिए झूठे आरोप लगाए थे, ताकि उसे स्कूल से निकाल दिया जाए। मामला मीडिया में सुर्खियों में आने के बाद बार-बार संपर्क करने के बावजूद प्राचार्य ने फोन तक अटैंड नहीं किया। मारपीट में घायल प्रशासनिक अधिकारी अविनाश सिंह ने आरोप लगाया कि वह बाहर के रहने वाले हैं। प्राचार्य लोकल होने के कारण लोकल स्टाफ की मदद से बाहर के स्टाफ सदस्यों को परेशान करते हैं। छात्रों का प्रकरण होने के बाद खुद प्राचार्य ने महिला कर्मी को सस्पेंड किया था। उन्हें पुलिस को पत्र लिखने के लिए कहा था। उन्होंने आरोप लगाया कि प्राचार्य ने बड़ी संख्या में ग्रामीणों को भड़काकर उनके कार्यालय में भेज दिया। इन लोगों ने बिना वजह उन्हें बाहरी बताकर मारपीट शुरू कर दी। मैंने वहां से भागकर जान बचाई। ऑफिस में डीवीआर व अन्य सामान तोड़ दिया गया। फिलहाल अविनाश सिंह ने ट्रॉमा सेंटर में मेडिकल कराया है। इस संबंध में मीडिया ने प्राचार्य से लेकर पुलिस अधिकारियों से बात करने के प्रयास किए गए, लेकिन संबंधित अधिकारियों ने फोन तक नहीं उठाए।

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