खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता दरकिनार,स्वास्थ की दरकार
मंहगे दामों में बिमारी मोल खरीदने जैसा हो रहा महसूस, दिनोंदिन बढती जा रही फास्टफूड की लत
फूड सेफ्टि अधिकारी व जिला प्रशासन हुआ सतर्क,खाद्य वस्तुओं के लिए जाएगें सैंपल
City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | देश-प्रदेश में फास्ट फूड व जंक फूड का प्रचलन दिनोंदिन बढता जा रहा है। इसका व्यवसाय करने वाले लोग भले ही आर्थिक रूप से फल-फूल रहे हों लेकिन इसका इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों के स्वास्थ पर बुरा प्रभाव पड रहा है। फास्ट फूड में शामिल पीजा,बर्गर,चाऊमीन,गोलगप्पे, दहीभल्ले,छोले-भटूरे, सैंडविच,पनीर-कुलचे इत्यादि की ओर बच्चे से लेकर जवान तक बहुत आकर्षित हो रहे हैं। सडक किनारे धूल-मिट्टी तथा मच्छर-मक्खियों के चंगुल में फंसे इन खाद्य पदार्थों को चटखारे लेकर खाया जा रहा है। जबकि इसके सर्वाधिक दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। लैब टेस्टिंग में भले ही इन खाद्य पदार्थों के सभी नमूने फेल हो जाएं लेकिन 5 से 30 वर्ष तक के युवक-युवतियों की नजरों में वे पूर्णरूप से पास हैं। ये खाद्य पदार्थ पैसे खर्च कर बिमारी मोल खरीदने जैसे हैं। एक अनुमान के आधार पर कनीना सब डिवीजन के विभिन्न गावों एवं शहर में फास्ट फूड के करीब 500 बूथ संचालित हैं जबकि जिलेभर में इनकी संख्या 2400 आंकी गई है। जिनके माध्यम से प्रतिदिन लाखों रूपये का कारोबार होता है। क्या बच्चे-क्या बडे सभी की ओर से बडे चाव के साथ मुंह मांगे दाम में ये फूड खाया जाता है। आजकल इसकी बिक्री ऑनलाईन भी होने लगी है। जिससे बची-खुची गुणवत्ता भी तार-तार हो रही है।
गुणवत्ता की जिम्मेवारी सरकार की
प्रबुधजनों सत्यवीर सिंह, विनोद कुमार, सुनील कुमार का कहना है कि आमजन के स्वास्थ की रक्षा करने की सरकार व स्वास्थ विभाग की अहम जिम्मेवारी बनती है। जो समय-समय पर ऐसे बूथों पर जाकर उसकी गुणवत्ता व स्वच्छता का अवलोकन करें ओर संदेहजनक व दूषित खाद्य पदार्थों के नमूने लेकर लैब में जांच करवाएं। सैंपल फेल होने पर हत्या जैसी धारा के तहत केस दर्ज किया जाए। सख्ती बरतने के साथ ही आमजन की सुरक्षा बनी रह सकती है।
फास्ट फूड सेवन से हो सकती हैं कैंसर जैसी घातक बिमारी:डॉ.निदेश कुमार
इस बारे में नागरिक अस्पताल नारनौल में कार्यरत डॉ.दिनेश कुमार ने बताया कि फास्ट फूड का इस्तेमाल स्वास्थ पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है। उनकी राय में फास्ट फूड खाने से घर के खाने की आदत छूट जाती हैै वहीं ये भोजन नियमित लेने से अपच,गैस बनने सम्बंधी समस्या, लिवर को कमजोर करने, मधुमेह,बीपी, बवासीर, हार्ट प्रोब्लम, कैंसर, आतों की सफाई न होने देने की समस्या,दांत-मसूडों के खराब होने की समस्या तथा त्वचा रोग सम्ंबधी विकार उत्पन्न हो जाते हैं। इम्युनिटी घट जाती है तथा मोटापा बढने लगता है।
क्या कहते हैं फूड सेफ्टि अधिकारी
इस बारे में फूड सेफ्टि अधिकारी डॉ.राजेश वर्मा ने बताया कि फूड सेफ्टि के अंतर्गत दुकानदारों का लाइसेंस रजिस्ट्रेशन जरूरी है। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की देखरेख में फूड सेफ्टि एक्ट लागू है। दूध व मिठाई विक्रेताओं को अपनी दुकानों का पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। खाद्य पदार्थों के निर्माता, पैकर्स,होल सेलर्स,निर्यात-आयात करने वाले, होटल-रेस्टोरेंट, क्लब,कैंटीन, मिठाई, आइसक्रीम सहित ऐसे दुकानदार जो परिवहन एवं भंडारण करने वाले हैं। वे सभी इस एक्ट के दायरे में आते हैं। खाद्य पदार्थों में मिलावट करने तथा एक्सपायरी डेट के बाद सामान बेचे जाने वाले दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। उनके पास महेंद्रगढ,रेवाडी तथा झज्जर जिले की जिम्मेवारी है। फिर भी खाद्य वस्तुओं के समय-समय पर सैंपल एकत्रित कर जांच के लिए लैब में भेजे जा रहे हैं। आमजन के स्वास्थ से खिलवाड नहीं होने दिया जाएगा।