दर्द से हो गया है बुरा हाल तो खाना शुरू करें ये चीजें
City24news/भावना कौशिश
आजकल न्यूरोपैथी होने की सबसे बड़ी वजह डायबिटीज है। डायबिटीज में जब शुगर का स्तर कई महीनों तक HbA1c के सामान्य लेवल (यह शरीर में 3 महीनों के शुगर का औसत स्तर बताता है) 5.7 से बढ़ा हुआ हो। जितने लंबे समय तक यह बढ़ा रहेगा, उतनी ही ज्यादा न्यूरोपैथी होने की आशंका रहेगी। इसलिए इसे काबू में रखना जरूरी है। वहीं शरीर में बनने वाले फ्री रेडिकल्स को कम रखना होगा।
शरीर में बनने वाले फ्री रेडिकल्स ज्यादा बनने लग जाएं तो न्यूरोपैथी की समस्या हो जाती है। इसके लिए बाहर का खाना, जंक फूड (नूडल्स, बर्गर आदि) को कम से कम करना होगा। साथ ही, डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करना होगा जिनमें भरपूर मात्रा में ऐंटिऑक्सिडेंट मौजूद हों। मसलन: मौसमी हरी साग-सब्जियां, सलाद, फल आदि। इनके अलावा ड्राई फ्रूट्स भी खाएं। हर दिन 2 अखरोट, 5 बादाम, 5 मुनक्का खाने से फायदा होगा।
जरूरी है फिजिकल एक्टिविटी
हर दिन 1 घंटे की फिजिकल ऐक्टिविटी जरूरी है। इसमें ब्रिस्क वॉक, योगासन, एक्सरसाइज सब शामिल हों। इनसे शरीर में ब्लड फ्लो सही रहता है। मांसपेशियों को मजबूत करने वाली एक्सरसाइज़ (वेटलिफ्टिंग, पुशअप्स आदि) करें।
यह सच है कि कई बार एक अंग से लगातार काम करने से उस अंग में कमजोरी या ग्रिप में कमी महसूस हो सकती है। ऐसे में ये लक्षण भले ही न्यूरोपैथी जैसे हों पर आराम करने से कुछ मिनटों से लेकर 1-2 घंटों में ही स्थिति सामान्य यानी पहले जैसी हो जाती है। ऐसा होना सामान्य है, लेकिन ऐसा न हो तो डॉक्टर से मिलना चाहिए। कुछ मामलों में यह काफी हद तक ठीक भी हो सकता है तो कुछ मामलों में हल्का सुधार ही हो पाता है।
कभी-कभी 100 फीसदी भी वापसी मुमकिन हो सकती है। वैसे ये सब न्यूरोपैथी की वजह पर ही निर्भर करता है कि गंभीर बीमारी की वजह से हुआ है या फिर कोई सामान्य बीमारी के कारण। फिर भी दवाओं का असर 8 से 12 हफ्तों में अक्सर दिखने लगता है। ज्यादा सुधार में 6 महीनों से भी ज्यादा का वक्त लग सकता है। हकीकत यह है कि नसोंं की परेशानी को दूर करने में वक्त लगता है।
एक्सपर्ट पैनल- डॉ. MV पद्मा श्रीवास्तव (चेयरपर्सन, न्यूरॉलजी, पारस हॉस्पिटल), प्रो. (डॉ.) मंजरी त्रिपाठी (HOD न्यूरॉलजी, AIIMS), डॉ. दलजीत सिंह (HOD, न्यूरो सर्जरी, जी.बी. पंत हॉस्पिटल), डॉ. नेहा कपूर (एसोसिएट डायरेक्टर और हेड, न्यूरॉलजी, एशियन हॉस्पिटल), डॉ. राजीव अग्रवाल (इंचार्ज, न्यूरो-फिजियोथेरपी यूनिट, AIIMS)