यदि इन्सान में नैतिकता नहीं  तो सम्पत्ति, पैसा, पद कुछ मायने नही रखते : विपिन शर्मा

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 City24news@अशोक कौशिक 

नारनौल। उपायुक्त एवं जिला बाल कल्याण परिषद की अध्यक्षा मोनिका गुप्ता के मार्गदर्शन में 

जिला बाल कल्याण परिषद की ओर से आज सरस्वती विद्या मन्दिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नांगल चौधरी में नैतिक मूल्यों की शिक्षा पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।

इस मौके पर योजना के नोडल अधिकारी एवं पूर्व जिला बाल कल्याण अधिकारी विपिन कुमार शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि सम्पत्ति, पैसा, उपलब्धि, प्रतिष्ठा, सम्मान, पद कुछ मायने नहीं रखते, यदि इन्सान में नैतिकता नहीं है। नैतिक मूल्यों की शिक्षा बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ देशभक्ति, संस्कृति एवं संस्कार आदि का पाठ सिखाती है। वर्तमान शिक्षा बच्चों का आत्मबल कमजोर बनाती है जिसकी वजह से वर्तमान पीढ़ी मानसिक तनाव व दबाव में रहती है। इससे बाहर निकलने का एक मात्र जरिया नैतिक मूल्यों की शिक्षा एवं अपनी वैदिक शिक्षा का ज्ञान होना बच्चों को बहुत ही आवश्यक है जिससे उनका मानसिक, शारीरिक व सैद्धांतिक रूप से विकास हो सकें तथा उनमें भारतीय संस्कृति, संस्कार, आचार, व्यवहार एवं देशभक्ति की भावना जागृत हो सकें। आज व्यक्ति एवं समाज में साम्प्रदायिक्ता, जातीयता भाषावाद, हिंसा, अलगाववाद, भ्रष्टाचार, यौनशोषण, भ्रुण हत्या की संकीर्ण भावनाओं व समस्याओं के मूल में नैतिक मूल्यों का पतन ही उत्तरदायी कारण है। नैतिक मूल्यों का समावेश जीवन के सभी क्षेत्रों में होता है। व्यक्ति परिवार, समुदाय, समाज, राष्ट्र से मानवता तक नैतिक मूल्यों की यात्रा होती है। नैतिकता समाज में सामाजिक जीवन को सुगम बनाती है। मानव को सामाजिक प्राणी होने के नाते कुछ सामाजिक नीतियों का पालन करना पड़ता है जिनमें संस्कार, सत्य, परोपकार, अहिंसा, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, एक-दुसरे की मदद करना आदि शामिल है। वास्तव में ये सभी नैतिक गुणों में आते हैं और बच्चों को इन्हें बचपन से ही धारण कर लेना चाहिए ताकि अच्छे परिवार, समाज, राष्ट्र का निर्माण हो सकें। उन्होंने बच्चों को उच्च श्रेणी की शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की शिक्षा को भी अवधारण करने के लिए प्रेरित किया। इस समय भौतिक सभ्यता का अनुकरण आज जिस तेजी से हो रहा है इससे लोगों का नैतिक पतन भी उसी तेजी से हो रहा हैं। स्वामी विवेकानन्द जी ने तो वर्षों पहले ही इस बात की चेतावनी देकर हमें सतर्क किया था। उन्होंने कहा था ध्यान रखो, यदि तुम अपनी संस्कृति का त्याग करदोगे और इसे एक ओर रखकर पश्चिम की सभ्यता के पीछे भागने लगोगे तो तुम्हारा अब तक का सम्पूर्ण गौरव समाप्त हो जाएगा। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि जो समाज अपने बुजुर्गों, महापुरूषों, वीर सेनानियों का सम्मान नहीं करता, वो अन्त में नष्ट हो जाता है। इसलिए सभी को यह प्रण लेना चाहिए के अपने बुजुर्गों, महापुरूषों व वीर सेनानियों का सम्मान करना चाहिए और इसके साथ-साथ अपने राष्ट्र से भी प्रेम करना चाहिए। इस अवसर पर विशेष रूप से बच्चों से सभी प्रकार से नशों व अन्य सभी प्रकार के व्यसनों से दूर रहने की भी अपील की तथा इनसे होने वाले दुष्प्रभावों से जागरूक किया।

इस अवसर पर संस्था के निदेशक अमित यादव ने बच्चों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा के महत्त्व पर प्रकाश डाला तथा बच्चों को अपने जीवन में अच्छी शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यों को भी अवधारण करने का अनुरोध किया। स्कूल की प्राचार्या वन्दना यादव ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए विश्वास दिलवाया कि वे अपने स्कूल के बच्चों को नैतिक मूल्यों से रोजाना अवगत करवाती रहेंगी।

इस अवसर पर बाल भवन से तीरंदाजी कोच सुरेन्द्र शर्मा,   उप-प्राचार्या रेखा यादव, डीपी विक्रम, सुनीता, सन्तोष, राजेश, यादराम, सुन्दर, मनीष, राजबाला के अलावा अन्य अध्यापक को बच्चे उपस्थित थे। 

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