बाबा साहब की जयंती की शुभकामनाऐं व मुबारकबाद पेश करता हूँ: नासिर हुसैन बदरूद्दीन

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-बाबा साहब ने जात-पात और छूआ-छूत की भावना को जड़ से मिटाया।
-वर्तमान में युवा पीढ़ी को अंबेडकर साहब के विचारों को बढ़ाने की है आवश्यकता

City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | डाॅ0 भीमराव अंबेडकर की जयंती पर जेपी जिला अध्यक्ष भाई नासिर हुसैन ने बताया कि आज हमें इस बात की आवश्यकता है कि हम जात-पात, उंच-नीच और सांप्रदायिकता के भेदभाव को समाप्त कर एक भारत-श्रेष्ठ भारत के लिए मिलकर काम करें, उन महापुरुषों को यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इससे समाज के लोगों में प्रेम और भाईचारे की भावना मजबूत होगी।डा. भीम राव अम्बेडकर ने आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर भाग लिया और देश के करोड़ों दीन-दुखियों तथा पिछड़ों के कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। बाबा साहेब का व्यक्तित्व सत्य और अहिंसा से ओत-प्रोत था। एक गरीब परिवार में जन्म होने पर भी उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि दृढ़संकल्प, मेहनत और साहस से मनुष्य कठिन से कठिन लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकता है। उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। लेकिन अपने उच्च मनोबल से अंबेडकर जी सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक आजादी के प्रबल समर्थक थे। इसलिए वे सिर्फ कमजोर, पिछड़े और वंचित वर्गों के ही नहीं बल्कि मेहनत कश लोगों के मसीहा थे, जो उनके लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे। उन्होने कहा कि डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर हमारे देश के ऐसे महान सपूत थे।उन्होंने जात-पात और छूआ-छूत की भावना को जड़ से मिटाने का काम किया। उन्होंने पिछड़े लोगों के कल्याण और उत्थान के लिए हमारे सामने जो आदर्श रखे, वे सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे। बाबा साहेब महान शिक्षाविद, प्रभावशाली वक्ता, योग्य प्रशासक और कुशल राजनेता थे। उनके व्यक्तित्व में मानवता के प्रति प्रेम तथा अन्याय, असमानता और शोषण के विरूद्ध संघर्ष करने की अदभुत क्षमता थी।

   उन्होने कहा कि बाबा साहेब की सोच थी कि हम अपने बच्चों विशेषकर अपनी लडकियों को अच्छी शिक्षा दिलायें, ताकि राष्ट्र का विकास हो और विश्व की तरक्की हो। बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने समाज के लिए दीपक का काम किया है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के मूल मन्त्र शिक्षित बनों, संगठित रहो और सघर्ष करों का जो नारा है वह हमें शिक्षा ग्रहण करने, आपस में मिलजुल कर रहने के साथ-साथ अपने अधिकारों के लिए सघंर्षरत रहने की प्रेरणा देता है। उन्होने कहा कि आज के दिन डा. भीमराव अम्बेडकर को यही सच्ची श्रंद्धाजंली अर्पित होगी कि हम उनके बताए मार्ग पर चलें और संगठित रहकर कार्य करें। डा. भीमराव अम्बेडकर ने 2 वर्ष 11 माह 18 दिन की अल्प अवधि में एक विस्तृत संविधान भारत को दिया है। युवा पीढी को चाहिए कि वे डा. भीमराव अम्बेडकर के बताए हुए सिंद्धातों पर अमल करें ताकि वे जीवन में सफलता हासिल कर सकें।

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