विषयों में नियंत्रण रखना एवं ब्रह्मचर्य का पालन करना : उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म :रजत जैन
ब्रह्मचर्य का अर्थ आत्मा में रमण करना है :रजत
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | ब्रह्मचर्य का पालन किए बिना तप – त्याग – संयम व्यर्थ है।जब तक ब्राह्म – इंद्रियों के सुख से विरक्त हुए कब तक अंतरंग विरक्ति असंभव है। उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म ,दशलक्षण धर्म में दसवां धर्म है। उक्त जानकारी देते हुए सर्वजातीय सेवा समिती के उपाध्यक्ष रजत जैन ने बताया की उत्तम आकिंचन धर्म के सद्भाव मे ही ब्रह्मचर्य धर्म प्रकट होता है।ब्रह्म मतलब आत्मा चर्या अर्थात आचरण। ब्रह्मचर्य का अर्थ हुआ आत्मा में रमण करना जो आत्मा के हित का अभिलाषी है। उसका प्रयास होना चाहिए,अपने शील – ब्रह्मचर्य की रक्षा करना। रजत ने बताया की आत्मा का आत्मा में रमण तभी हो सकता है जबकि चित्र – वृत्ति – विषय – वासनाओं से रिक्त हो, इसलिए सभी पदार्थों से मन हटा कर अपनी आत्मा में लगाना ही सर्वोत्तम (सर्वोच्च) है। यही उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म है। विषयों में नियंत्रण रखना एवं ब्रह्मचर्य का पालन करना ब्रह्मचर्य धर्म है।