भगवान श्री परशुराम के जन्मोत्सव पर किया  हवन यज्ञ 

0

भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव की विशेष की पूजा अर्चना अक्षय तृतीया के दिन से हुई दान देने की प्रथा प्रारंभ
City24news/अनिल मोहनियां
नूंह| भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव पर नगीना में श्री ब्राह्मण चौपाल पर हवन यज्ञ किया गया।ये जानकारी ब्राह्मण समाज नगीना के अध्यक्ष पंडित बाबूराम शर्मा शर्मा ने देते हुए बताया की हवन यज्ञ करने से पर्यावरण शुद्ध होता है तथा और असुरियो शक्तियों का विनाश होता है व्यक्ति को नियमित रूप से यज्ञ हवन करना चाहिए । हवन  यज्ञ करने का उद्देश्य जनता में धर्म के प्रति प्रभावना जागृत करना है। सर्वजातीय सेवा समिति के उपाध्यक्ष रजत जैन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा की भगवान विष्णु के दस अवतारों में से छठे अवतार भगवान श्री परशुराम जी का है, और वो आठ चिरंजीवियों में से एक है। सच्चे हृदय- मन से जो भक्तिभाव से पूजा,अर्चना करता है ,वे सभी  दुखों से मुक्ति पाकर परम सुख प्राप्त कर अपनी आत्मा का आत्मकल्याण करता है। रजत ने कहां की भगवान परशुराम ने कहा है की माता की कोई जाति नहीं होती और माता किसी की भी हो ,वो सदैव आदरणीय व पूजनीय होती। माता का सदैव  मान-सम्मान व आदर-सत्कार करना चाहिए। रजत ने कहा की जीवमात्र के सर्व मंगल,सर्व कार्येषु, सर्व कल्याण के उद्देश्य को लेकर परोपकार की भावना से कार्य करना चाहिए। रजत जैन ने सभी से निवेदन किया मतदान करना प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है ।वे चाहे किसी भी दल या व्यक्ति  को वोट दे वह उसका स्वयं का निर्णय है। लेकिन देश की उन्नति व तरक्की के लिए अपने मत का प्रयोग अवश्य करें । लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक-एक मत का विशेष महत्व है। 100 फीसदी मतदाता मतदान कर भारत के लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करें। और मतदान करने के पश्चात ही व्यक्ति अन्य कार्य करें ताकि वो सुशिक्षित होकर राष्ट्र निर्माण में अपना पूर्ण योगदान दे।प्रभात फेरी हनुमान मंदिर पर संपन्न हुई। पंडित नंदकिशोर शर्मा के पावन सानिध्य में देश की उन्नति समृद्धि खुशहाली,आपसी प्रेम- सौहार्द की कामना के साथ भगवान परशुराम की पूजा अर्चना-आरती मंत्रोच्चारणो के साथ विधिपूर्वक की गई। प्रसाद भी वितरित किया गया।कार्यक्रम का संचालन रजत जैन ने किया। जैन धर्म में भी है अक्षय तृतीया का महत्व :- अक्षय तृतीया का अत्यंत महत्व है आज के दिन जैन धर्म के वर्तमान चोबीसी के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने लगभग एक वर्ष पश्चात आहार ग्रहण किया था। रजत जैन नगीना ने बताया की भगवान आदिनाथ ने छह महा की अवधि तक उपवास (व्रत)रखा। उसके पश्चात व आहार लेने के लिए नगर नगर में गए तो जनता को आहार की विधि  का ज्ञान न होने के कारण जनता ने उन्हें हीरे जवाहरात आदि देने का प्रयास किया ,लेकिन भगवान आदिनाथ ने उन्हें ग्रहण नहीं किया। इसी प्रकार छह माह का अतिरिक्त समय ओर बिना आहार लिए व्यतीत हो गया। रजत ने बताया की भगवान आदिनाथ का लगभग एक वर्ष का समय बिना आहार के व्यतीत हो जाने के पश्चात वे हस्तिनापुर राज्य पहुंचे तो वहां उनके पौत्र राजा श्रेयांश ने उन्हें आहार में ईख ( गन्ना) का रस  दिया। वह दिन अक्षय तृतीया का शुभ दिन था और भगवान आदिनाथ ने लगभग एक वर्ष पश्चात आहार लिया। तभी से दान देने की परंपरा की शुरुआत हुई।

इस अवसर पर इस अवसर पर पंडित चक्रदत्त शर्मा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता नितिन दुबे ,शिवकुमार आर्य, अनिल जैन, पंडित कमल शर्मा, पंडित मूलचंद शर्मा, सुभाष चंद्र गुप्ता, पंडित दिनेश शर्मा, पंडित नवीन शर्मा,विकास गुप्ता ,सुधीर जैन अनिल जैन मेडिकल स्टोर,नकुल गुप्ता,रजत जैन, नंदलाल प्रजापत, मुकेश सिंगला, मनोहर लाल, सतपाल सैनी, मानक चंद सैनी, हरीश शर्मा ,आनंद गुप्ता, आदि उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *