कुतुबगड़ में पूर्णिमा के अवसर पर महर्षि वाल्मीकि की जयंती के लिए किया गया हवन पूजा।

City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | पूर्णिमा के अवसर पर महर्षि वाल्मीकि की जयंती हवन पूजा करके इंडरी खंड ग्राम कुतुबगड़ में मनाई गई। जिसमें आचार्य राजेश ने कहा कि जन्म से हम सब शूद्र हैं। संस्कारों से हमारा दूसरा जन्म होता हैं। जिससे हम द्विज कहलाते हैं।वेद पढ़ने पढ़ाने से हम विप्र पंडित बनते हैं और ब्रह्म और जीवात्मा परमात्मा जानने से ब्राह्मण बनते हैं। उन्होंने बताया कि हमारे शरीर में भी वर्ण होते हैं पैरों से शूद्र, पेट से वैश्य, भुजाओं से क्षत्रिय, शिर से ब्राह्मण होता हैं। जो व्यक्ति पढ़ा लिखा है वह ब्राह्मण की श्रेणी में आता हैं। आचार्य राजेश ने बताया कि व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान बनता है। जो जिस कर्म को करता हैं वह उसी वर्ण में आ जा सकता है। उन्होंने बताया कि महर्षि वाल्मीकि डाकू नहीं थे और न रत्नाकर थे। महर्षि वाल्मीकि ब्राह्मण थे वाल्मीकि रामायण में खुद के कहते हैं कि मैंने पहले मन से कर्म से वचन से पहले कभी पाप नहीं किया हैं। इस अवसर पर भीम सिंह, दीपचंद, नवीन बघेल, चन्दर, देवेंदर,राकेश,नवनीत, प्रेम आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे।