एनपीएस और यूपीएस के स्थान पर सरकार लागू करे पुरानी पेंशन योजना

पुरानी पेंशन के लिए बीजेपी जिलाध्यक्ष को मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन।
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | पेंशन बहाली संघर्ष समिति. हरियाणा के आह्वान पर आज जिला कार्यकारिणी नूह ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार को पुरानी पेंशन बहाली के अपना ज्ञापन सुरेंद्र उजीना जिला अध्यक्ष बीजेपी को उनके कार्यालय पर सौंपा। इससे पहले विभिन्न संगठनों के तालमेल के साथ सरकारी कमर्चारियों ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए नारे लगाए और सरकार से मांग की वो कर्मचारियों की लंबित मांग को पूरा करें।
जिला प्रधान मुंशेद खान ने कहा कि पिछले कई वर्षों से प्रदेश के सरकारी कर्मचारी अपनी सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पुरानी पेंशन नीति की पुनः बहाली की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा विभिन्न मंचों के माध्यम से और सरकार द्वारा गठित कमेटी के समक्ष भी एनपीस की कमियों सरकार के संज्ञान में ला चुकी हैं कि एनपीस किसी भी रुप में कर्मचारी की सामाजिक सुरक्षा को पूरा नहीं करती है ब्लकि इसके विपरीत एनपीस उसका आर्थिक शोषण करती है। हरियाणा सरकार ने भी केंद्र सरकार की तर्ज पर समय समय पर कर्मचारियों की इस महत्वपूर्ण मांग को संज्ञान में लिया है और एनपीस की कमियों को स्वीकारते हुए समय समय पर संशोधन किये है। वर्तमान में केंद्र सरकार ने एनपीस की कमियों को देखते हुए कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए यूपीएस का विकल्प दिया है और आपके द्वारा भी बजट भाषण में हरियाणा सरकार के कर्मचारियों के लिए यूपीएस लागू करने की घोषणा की है परन्तु कर्मचारियों ने पीएफआर डीए द्वारा अधिसूचित एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) विनियग, 2025 को अध्ययन करने के उपरांत एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) में सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के तहत पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की तुलना में कई खामियां और चिंताएं मिलीं।
*पूर्ण पेंशन गारंटी का अभावः*
जिला महासचिव राजेंद्र छींपा ने बताया कि ओपीएस स्वचालित डीए संशोधन और वेतन आगोगों के कार्यान्वयन के साथ पेंशन के रूप में अंतिम मूल वेतन का 50% गारंटी देता है। जबकि यूपीएस में पेंशन के स्थान पर केवल तभी 50% पेआऊट प्रदान करता है जब सेवा कम से कम 25 वर्ष हो, कर्मचारी या नियोक्ता से कोई मासिक योगदान छूट न हो, व्यक्तिगत पेंशन कॉर्पस बेंचमार्क कॉर्पस को बाजार में उतार-चढ़ाव के अधीन है) को पूरा करता ही या उससे अधिक हो, अन्यथा पेआऊट आनुपातिक रूप से कम हो जाता है।
जिला संयोजक दिनेश गोयल ने बताया ओपीएस में पेंशन पूरी तरह से सरकार द्वारा समर्थित और मुद्रास्फीति-समायोजित होती है, जबकि यूपीएस में निवेश बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। इससे यह दोष पैदा होता है कि कर्मचारियों को बाजार में गिरावट के कारण अपने पेंशन कोष में कमी का जोखिम उठाना पड़ता है।
पेशन बहाली संघर्ष समिति, के बैनर तले कर्मचारियों की अपनी सामाजिक सुरक्षा को लेकर चिंताओं के मध्यनजर सरकार से ज्ञापन के मद्धम निवेदन किया कि कर्मचारियों को यूपी एस का विकल्प देने की बजाय पुरानी पेंशन योजना का विकल्प चुनने जाए ताकि कर्मचारी को असल सामाजिक सुरक्षा मिल सके और सेवाकाल के दौरान की गई बचत उसे सेवानिवृत्ति पर मिल सके। पेंशन बहाली संघर्ष समिति आपसे यह भी निवेदन करती है कि कर्मचारियों पर अपना निर्णय थोपने से पहले कर्मचारियों से जरूर वार्तालाप की जाए क्योंकि पेंशन योजना का लाभ या नुकसान सीधा कर्मचारी को होना है। इस दौरान नर्सिंग यूनियन के प्रधान नरेंद्र सिंह, क्लर्क संगठन प्रधान जितेंद्र गुलिया, महिला विंग की प्रधान राजों देवी, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के महासचिव शमशेर लौरा, आरिफ ब्लॉक प्रधान, सतपाल , ,दीप्ति, ज्योति, अंजलि, राजेंद्र, प्रदीप, नज्मू, परवेज, अमरजीत, कुणाल, रजनीश, लोकेश के साथ सैकड़ों कर्मचारी रहे।