सरकार ने फिल्म प्रमाणन प्रक्रिया में किया व्यापक सुधार

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City24news@अन्तराम महलोनिया

नईदिल्ली | प्रधानमंत्री ने परिकल्पना की है कि भारत वास्तव में समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक विविधता के साथ दुनिया का कंटेंट हब बनने की अपार क्षमता रखता है, जो भारत की ताकत है।

सूचना और प्रसारण मंत्री ने प्रधानमंत्री की परिकल्पना को आगे बढ़ाते हुए, भारतीय सिनेमा को भारत की सॉफ्ट पावर, भारतीय संस्कृति, समाज और मूल्यों को विश्व स्तर पर बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता माना है। पारदर्शिता, व्यापार सुगमता और निजता के उल्लंघन के खतरे से सुरक्षा के साथ भारतीय फिल्म उद्योग का सशक्तिकरण, भारत में सामग्री निर्माण इको-सिस्टम के विकास में काफी मदद करेगा।यह फिल्म क्षेत्र के सभी कलाकारों और कारीगरों के हितों की रक्षा करने में भी सहायक होगा। इस दृष्टि से सिनेमैटोग्राफ अधिनियम का ऐतिहासिक संशोधन 40 वर्षों के बाद 2023 में लाया गया था और अब इसे दुरुस्त किए गए सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 2024 के साथ पूरी तरह से सशक्त बनाया गया है।

भारतीय फिल्म उद्योग दुनिया के सबसे बड़े और सबसे अधिक वैश्वीकृत उद्योगों में से एक है, जो हर साल 40 से अधिक भाषाओं में 3,000 से अधिक फिल्मों का निर्माण करता है। डिजिटल युग के लिए फिल्म प्रमाणन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और आधुनिक बनाना है। मंत्रालय और सीबीएफसी ने फिल्म निर्माताओं, सिनेमा मालिकों, दिव्यांगों के अधिकार संबंधी  संगठनों, गैर सरकारी संगठनों, फिल्म उद्योग निकायों, आम जनता और अन्य हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श किया है, ताकि व्यापक तथा समावेशी दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जा सके। यह लक्ष्य हमारे माननीय प्रधानमंत्री के शब्दों में “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” में दृष्टिगोचर होता है।

सिनेमैटोग्राफ नियम, 2024 में शामिल सुधारों के प्रमुख विशेषताएं:

  • फिल्म प्रमाणन की प्रक्रिया के लिए समय-सीमा में कमी और काम करने के समय में लगने वाले विलम्ब को खत्म करने के लिए पूर्ण डिजिटल प्रक्रियाओं को अपनाना।
  • ऑनलाइन प्रमाणन प्रक्रियाओं को अपनाने के साथ इसे पूरी तरह से संरेखित करने के लिए नियमों में व्यापक संशोधन किया गया है, जो फिल्म उद्योग के लिए बढ़ी हुई पारदर्शिता, दक्षता और व्यापार सुगमता सुनिश्चित करेगा।
  • समय-समय पर इस संबंध में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, फिल्मों/फीचर फिल्मों में प्रमाणन के लिए पहुंच संबंधी विशेषताएं होनी चाहिए, ताकि इसमें दिव्यांगजनों को भी शामिल किया जा सके।
  • सीबीएफसी बोर्ड और सीबीएफसी के सलाहकार पैनलों में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व, जहां यह निर्धारित है कि बोर्ड में एक तिहाई सदस्य महिलाएं होंगी और अधिमानतः आधी महिलाएं होंगी।
  • प्रमाणपत्रों की स्थायी वैधता: केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के प्रमाणपत्रों की स्थायी वैधता के लिए केवल 10 वर्षों के लिए प्रमाणपत्र की वैधता पर प्रतिबंध को हटाना।
  • टेलीविज़न के लिए फ़िल्म की श्रेणी में परिवर्तन: टेलीविज़न प्रसारण के लिए संपादित फ़िल्म का पुन:प्रमाणीकरण, क्योंकि केवल अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शनी श्रेणी की फ़िल्में ही टेलीविज़न पर दिखाई जा सकती हैं।
  • पारदर्शिता बढ़ाने और सभी विवेकाधिकारों को दूर करने के लिए फिल्मों की प्राथमिकता स्क्रीनिंग की प्रणाली। पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण कभी-कभी फिल्म निर्माताओं को महसूस होता है कि उनकी फिल्म जल्द रिलीज कर दी जाये। इसी को मद्देनजर रखते हुये व्यापार सुगमता के तहत प्रमाणन के लिए फिल्म की स्क्रीनिंग में तेजी लाने के वास्ते प्राथमिकता स्क्रीनिंग का प्रावधान किया जा रहा है।

सिद्धांत नियमों को सरकार द्वारा 1983 में अधिसूचित किया गया था और समय-समय पर इनमें संशोधन किया गया है। बहरहाल, पिछले 40 वर्षों से फिल्म प्रौद्योगिकी, दर्शकों की जनसांख्यिकी, सामग्री वितरण विधियों में महत्वपूर्ण प्रगति को देखते हुए, हमारे फिल्म उद्योग की लगातार बढ़ती जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए आमूल परिवर्तनों के साथ नियमों का नया सेट पेश किया जा रहा है।

सरकार ने फिल्म प्रमाणन से संबंधित मुद्दों को व्यापक रूप से संबोधित करने के लिए लगभग 40 वर्षों की अवधि के बाद पिछले साल सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 में संशोधन किया था। नए सिनेमैटोग्राफ नियम, 2024 को अधिसूचित करना प्रमाणन प्रक्रिया को सरल, अधिक समसामयिक और सर्वोत्तम वैश्विक व्यवहारों के अनुरूप बनाना है।

ये सभी नियम सिनेमा की निरंतर वृद्धि और सफलता का समर्थन करते हुए अधिक कुशल, पारदर्शी और समावेशी फिल्म प्रमाणन प्रक्रिया को बढ़ावा देंगे।

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