15 फरवरी को बच्चों व महिलाओं को खिलाएं एलबेंडाजोल टैबलेट- रेनू सोगन 

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  • अभियान के तहत 20 फरवरी को होगा मॉप-अप राउंड, जिसमें शेष बचे बच्चों व महिलाओं को किया जाएगा कवर
  • अतिरिक्त उपायुक्त स्वास्थ्य, शिक्षा व महिला एवं बाल विकास विकास के अधिकारियों को बैठक में दिए जरूरी दिशा-निर्देश

city24news@अनिल मोहनियां
नूंह  | स्वास्थ्य विभाग की ओर से आगामी 15 फरवरी को राष्टï्रीय कृमि मुक्ति अभियान के तहत जिला के शिक्षण संस्थानों व  आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों व महिलाओं को पेट के कीड़े मारने की एल्बेंडाजोल दवाई निशुल्क खिलाई जाएगी तथा इसी कड़ी में 20 फरवरी, 2024 को मॉप-अप राउंड के तहत शेष बचे बच्चों व महिलाओं को कवर कर उन्हें एल्बेंडाजोल दवाई खिलाई जाएगी।

अतिरिक्त उपायुक्त रेनू सोगन ने बुधवार को लघु सचिवालय के सभागार में स्वास्थ्य, शिक्षा व महिला एवं बाल विकास विकास के अधिकारियों की बैठक में राष्टï्रीय कृमि मुक्ति अभियान को सफल बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन राउंड में बच्चे व महिलाओं का 100 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया जाए। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत एक व 2 वर्ष के बच्चों के लिए एल्बेंडाजोल की खुराक आधा टैबलेट, 3 से 19 वर्ष के बच्चों को एक टैबलेट तथा 20 से 24 वर्ष आयु की महिलाओं को एक टैबलेट की खुराक दी जाएगी। 

उन्होंने बताया कि बच्चों में आंतों के कृमि संक्रमण के सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे को निपटाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन व हरियाणा की ओर से 15 फरवरी, 2024 को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। इसके बाद 20 फरवरी, 2024 को मोप-अप दिवस मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य जिला के सभी बच्चों को उनके समग्र स्वास्थ्य, पोषण संबंधी स्थिति, संज्ञानात्मक विकास और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए कृमि मुक्ति उपचार प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि कुछ मामलों में, बच्चों को कृमि मुक्ति के बाद मतली, हल्का पेट दर्द, उल्टी, दस्त और थकान का अनुभव हो सकता है। ये दुष्प्रभाव आमतौर पर अस्थायी होते हैं और इन्हें आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है। किसी भी प्रतिकूल घटना के लिए, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम के दौरान सभी जिलों में मजबूत और अच्छी तरह से तैयार आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली मौजूद होंगी। 

उन्होंने कहा कि जब पेट में कीड़े हो जाते हैं तो बच्चों में शारीरिक व मानसिक विकार आता है और बच्चों पर इसका गहरा हानिकारक असर पड़ता है। उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे स्कूलों में दवा देते समय यह सुनिश्चित करें कि शत-प्रतिशत बच्चों को कवर किया जाए। ईंट-भट्टों पर भी अभियान के तहत बच्चों को दवा दी जाए। 

सभी बच्चों व महिलाओं को कवर किया जाए

    अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि बच्चों के पेट में कीड़े होने से उन्हें कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। बच्चों को लाल चकत्ते त्वचा पर हो जाते हैं, इसके साथ-साथ उनकी आंखों पर भी फर्क पड़ता है। बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। जो बच्चे नाखून चबाते हैं वह अपनी आदतों में सुधार लाएं। क्योंकि इससे पेट में कीड़े होने की आशंका ज्यादा से ज्यादा रहती है। इसलिए बच्चे नाखून न चबाएं। उन्होंने कहा कि अभिभावक भी अपने बच्चों को इसके प्रति जागरूक करें। बच्चों को बार-बार हाथ धोने और खुले में शौच न करने के प्रति भी जागरूक करें।

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