किसान पराली में आग ना लगाएं, करें पराली का उचित प्रबंधन-डीसी अखिल पिलानी

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– डीसी की जिला के किसानों से अपील
City24news/अनिल मोहनिया 

नूंह | डीसी अखिल पिलानी ने जिले के किसानों से अपील की है कि वे फसल कटाई के बाद खेतों में बची पराली या अवशेष को आग के हवाले न करें, क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रदूषण फैलता है और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण और भूमि की उर्वरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि किसान खेत में बची फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन सुनिश्चित करें।

उन्होंने बताया कि आज किसानों के पास पराली प्रबंधन के कई विकल्प उपलब्ध हैं। पराली से चारा तैयार किया जा सकता है, बंडल बनाए जा सकते हैं अथवा कृषि यंत्रों की सहायता से इसे खेत की मिट्टी में मिलाया जा सकता है। कृषि विभाग द्वारा इस कार्य के लिए आवश्यक मशीनें उपलब्ध कराई जा रही हैं।

डीसी ने कहा कि पराली जलाने से न केवल वायु प्रदूषण बढ़ता है बल्कि खेतों की उर्वरक शक्ति भी घटती है और अनेक सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) योजना लागू की गई है, जिसके अंतर्गत पराली नहीं जलाने वाले किसानों को 1200 रुपए प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। उन्होंने बताया कि पराली जलाने वाले किसानों को 30,000 रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। साथ ही, उन्हें मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर दो वर्षों के लिए प्रतिबंधित भी किया जा सकता है। 

डीसी अखिल पिलानी ने बताया कि सभी किसान पर्यावरण संरक्षण और अपनी भूमि की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखने के लिए पराली प्रबंधन के वैकल्पिक उपाय अपनाएं और जिले को प्रदूषणमुक्त बनाने में सहयोग करें।

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