26 जनवरी को ट्रैक्टर और वाहन रैली को लेकर किसानो ने की बैठक का आयोजन

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city24news@रोबिन माथुर
हथीन | किसान मजदूर व कर्मचारियों के लंबित मुद्दों के समाधान की मांग को लेकर 26 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा व केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर पलवल शहर में ट्रैक्टर और वाहन रैली निकाली जाएगी। ट्रैक्टर व वाहन रैली की सफलता के लिए 25 जनवरी तक जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। दोनों कार्यक्रमों की सफलता की तैयारीयों के लिए आज किसान सभा व ट्रेड यूनियन के नेताओं की संयुक्त बैठक का आयोजन किया गया। सीआईटीयू की जिला प्रधान उर्मिला रावत की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान राजेश शर्मा किसान सभा के ज़िला सचिव दरियाब सिंह,सीटू के नेता रमेशचन्द, रिटायर्ड कर्मचारी संघ के ज़िला प्रधान बिधूसिंह तथा केंद्रीय कमेटी के नेता ताराचन्द विशेष रूप से शामिल रहे। संयुक्त बैठक में 16 फरवरी को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल का समर्थन करते हुए फैसला किया कि जिले के किसान भी मजदूर व कर्मचारियों के साथ सडक़ पर उतरकर प्रदर्शन में भाग लेंगे।बैठक में बोलते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के जिला प्रधान धर्मचन्द व सीआईटीयू की जिला प्रधान उर्मिला रावत ने बताया कि आज केंद्र व राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण किसान मजदूर व कर्मचारियों की भारी दुर्दशा हो रही है।उन्होंने कहा कि सरकार कमेरे वर्ग के ऊपर चारों तरफ़ से हमला बोल रही है। सरकार किसानों की फसलों की खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने के अपने वायदे से पीछे हट रही है जबकि किसानों के लिए इस्तेमाल इस्तेमाल होने वाले बीज खाद बिजली व कृषि उपकरण लगातार महंगे होते जा रहे हैं। मजदूरों के ट्रेड यूनियन अधिकारों को खत्म किया जा रहा है तथा उनके हितों के लिए पहले से बने श्रम कानूनों को समाप्त कर नए चार लेबर कोड बनने से मजदूरों को दोबारा गुलाम बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारी क्षेत्र का निजीकरण करने के चलते पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं के लिए नौकरी के रास्ते बंद किए जा रहे हैं जिससे देश व प्रदेश में रोजगार का भारी संकट पैदा हो गया है।ऊपर से बेतहाशा बढ़ रही महंगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। कोविडकाल में नौकरी से हटाए गए मजदूरों के परिवार भारी आर्थिक संकट झेल रहे हैं।उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जनहित के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए तरह तरह के षड्यंत्र करती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को आवंटित बजट में से लगभग एक लाख करोड़ रुपये बिना खर्च किए केंद्रीय वित्त मंत्रालय को वापिस कर दिए। यूनियन नेताओं ने सरकार द्वारा यूरिया खाद के बोरा का वजन पहले 50 किलो से 45 किलो किया तथा अब 45 किलो से घटाकर 40 किलो कर दिया है तथा नाइट्रोजन की मात्रा भी कम कर दी है। इस फ़ैसले से किसान की पैदावार पर भी विपरीत असर पड़ेगा व खर्चा भी ज्यादा आएगा।
बैठक में सीआईटीयू की नेता रामरति चौहान, सरोज, किसान नेता डॉ रघुबीर सिंह तथा रुपराम तेवतिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
ये हैं मुख्य मुद्दे
– किसानों की फसलों की खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए।
– ⁠बिजली संशोधन कानून को रद्द किया जाए।
– ⁠कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए तथा सभी विभागों में ख़ाली पड़े पदों को स्थायी भर्ती से भरा जाए।
– ⁠स्कीम वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देकर उन्हें पक्का किया जाए तब तक उन्हें न्यूनतम वेतन 26 हजार दिया जाए।
– ⁠लखीमपुर खीरी के किसानों को न्याय दिया जाए।
– ⁠मजदूरों को गुलामी में धकेलने वाले चार लेबर कोड रद्द करके पुराने श्रम कानूनों की बहाली की जाए।
– ⁠सेना भर्ती के लिए बनाई गई अग्निवीर योजना रद्द की जाए।
– ⁠नई पैंशन स्कीम बंद करके पुरानी पैंशन स्कीम को बहाल किया जाए।
– ⁠सरकारी क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगाई जाए।
– ⁠बाढ़ व अन्य आपदाओं में हुए किसानों के नुकसान का मुआवज़ा दिया जाए।

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