9 गांवों के किसानों ने दिया सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम

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सरकार ने मांग मानी तो सरकार को समर्थन, नहीं बनी बात तो किसान अगली रणनीति तय करेंगे
चुनावी समर में किसानों ने सरकार की परेशानी बढ़ाई
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के चुनावी शंखनाद के बीच किसानों ने सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया है। किसानों ने अल्टीमेटम देकर भाजपा की परेशानी बढ़ाने का काम कर दिया है। किसानों ने दो टूक कहा है कि सरकार ने उनकी मांगों पर अमल किया तो सरकार के हक में वोट की जाएगी। वरना 10 दिन बाद किसान एक बार फिर एकत्रित होंगे और किसको चुनावी मैदान में सहयोग करने का फैसला लिया जाएगा यह उसी समय तय होगा। दरअसल चंद दिन पहले ही किसानों ने भाजपा नेता पूर्व विधायक चौधरी जाकिर हुसैन की अगुवाई में प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की थी और उनके सामने उचित मुआवजा सहित कई मांगों को रखा था। किसान हाजी सिराजुद्दीन, किसान जाहिद पूर्व सरपंच , अब्बास किसान,किसान मोहमद एसपी पूर्व सरपंच, दीनू नंबरदार,हाजी समशु,हाजी जस्सू,हाजी आजाद,हाजी जसमाल, अब्बास,हाजी वली,हाजी बसीर, इरफ़ान, रजाक इत्यादि ने कहा कि आचार संहिता लगने की वजह से सरकार ने सिर्फ भरोसा दिलाया। किसानों ने अब साफ कर दिया है कि भरोसे से काम नहीं चलेगा। अगर सरकार ने उनकी मुआवजा सहित अन्य मांगों को नहीं माना तो कोई भी बड़ा राजनीतिक फैसला 9 गांवों के किसान ले सकते हैं।

 आपको बता दें की आईएमटी रोजका मेव के लिए नौ गांव की तकरीबन 1600 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कांग्रेस सरकार के समय में किया गया था। किसानों को उस समय दो किस्तों में तकरीबन 46 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा राशि दी गई थी। अधिग्रहण के समय किसानों से एक हलफनामा लिया गया था, जिसमें उनके कानूनी अधिकार छीन लिए गए थे। इस बात से नाराज किसान पिछले कई महीने से लगातार धीरधोका गांव में अनिश्चितकालीन धरना – प्रदर्शन कर रहे हैं और मुआवजा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। किसानों ने साफ कहा है की अब हरियाणा में चुनावी समय है जो उनका साथ देगा, किसान उसी पार्टी को अपना सहयोग करेगा। सबसे खास बात यह है कि सरकार ने आईएमटी रोजकामेव का नाम बदलकर आईएमटी सोहना कर दिया है। जिसमें इन दिनों एशिया की सबसे बड़ी बैटरी फैक्ट्री का काम तेज गति से चल रहा है, लेकिन किसान चाहता है कि आईएमटी सोहना के विकसित होने से पहले – पहले उनकी मांगों पर सरकार गंभीरता से अमल करे और उनकी मांगों को अमली जामा पहनाए वरना किसान आईएमटी का कामकाज तक रुकवा सकते हैं। अब देखना यह है कि आगामी 10 दिनों में  सरकार के द्वारा किसानों के हक में कोई फैसला लिया जाता है या फिर किसान 10 दिन बाद महापंचायत कर किस पार्टी को अपना समर्थन देते हैं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन फिलहाल सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम देकर किसानों ने मौजूदा सरकार की चिंता बढ़ा दी है।

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