नांगल के किसान गजेंद्र सिंह व रोशन लाल ने नकदी फसलों को अपनाया

-कपास व बाजरे की फसल से अच्छी होती है पैदावार
-सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर किसान बन रहे आत्म निर्भर
City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | कनीना उपमंडल के विभिन्न गावों में प्रगतिशील किसानों द्वारा नकदी फसलों को अपनाकर सरकार द्वारा दी जा रही योजनाओं का लाभ लिया जा रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से ऐसे किसानों को बीज तथा कृषि उपकरणों पर सब्सिडी भी दी जाती है। जिससे उन्हें दोहरा लाभ मिल रहा है। किसान आत्म निर्भर बन रहे हैं। इसी कडी में गांव नांगल मोहनपुर के किसान गजेंद्र सिंह की ओर से नकदी फसल की ऑर्गेनिक खेती की जा रही है। उसके पास करीब साढे सात जमीन है। जिसमें वह प्रतिवर्ष एक-दो एकड़ कैश क्राॅप करता है। चालू वित वर्ष में उन्होंने एक एकड में आर्गेनिक खाद से प्याज उगाई है। जिसकी करीब 50 क्विटंल से अधिक की पैदावार का अनुमान है। नाॅर्मल साईज तथा गुणवत्तापरक इस प्याज को खरीदने के लिए ग्रामीण सीधे खेत में ही पंहुचने लगे हैं। उन्होंने बताया कि आॅर्गेनिक खेती पर करीब 35000 रुपए प्रति एकड़ की लागत आई थी। जिस पर हरियाणा सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से 50 फीसदी अनुदान की घोषणा की गई है। जिसके लिए आॅनलाईन आवेदन किया गया है। उन्होंने बताया कि सब्जी की प्राकृतिक खेती करने पर कपास व बाजरे की बजाय अच्छी बचत हो जाती है। किसान गजेंद्र सिंह ने बताया कि इससे पूर्व बाजरे व कपास की फसल से 30 से 35 हजार रूपये प्रति एकड़ की आमदनी होती थी जबकि सब्जी की खेती करने से करीब डेढ़ लाख रुपए की आमदनी हो जाती है। कृषि विशेषज्ञों की सलाह से उनके द्वारा मल्चिंग विधि अपनाई जाती है। टपका सिंचाई विधि अपनाने पर 85 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है।
दूसरी ओर इसी गांव के किसान रोशन लाल की ओर से भी नकदी फसलों को अपनाया जा रहा है। ढाई एकड भूमि के मालिक रोशन लाल ने घीया, टमाटर, मिर्च, पेठा की पैदावार की है। उनकी ओर से की पैदा की जा रही सब्जी की खेती में किसी प्रकार के रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाता। जिससे सब्जि की गुणवत्ता व खाने का टेस्ट लाजवाब होता है। उनके द्वारा गौशाला से गोबर का खाद लाकर इस्तेमाल किया जाता है। सब्जि में कीड़े की रोकथाम के लिए नीम के पत्ते, निम्बू का रस व सरसों की खल का घोल बनाकर छिडकाव किया जाता है। जिससे कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। उन्होंने बताया कि नकदी फसल के पहले साल भले ही उत्पादन कम हो लेकिन उसकी बिक्री करने के लिए दूर नहीं जाना पड़ता वही खेत में ही सब्जी की बिक्री हो जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसानों को सुविधाएं दी जा रही हैं। उनसे किसानों का अच्छा मार्गदर्शन हो रहा है।
इस बारे में कृषि विभाग के एसडीओ डाॅ अजय सिंह ने बताया कि केंद्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के उत्थान के लिए अनेकों योजनाएं क्रियान्वित की गई है। जिसके अंतर्गत किसानों को प्रशिक्षण देकर बागवानी तथा कैशक्राॅप अपनाने की जानकारी दी जाती है। महेंद्रगढ जिले के अनेकों किसान परंपरागत खेती छोडकर कैशक्राॅप अपनाने लगे हैं। जिससे उन्हें अच्छा फायदा हो रहा है।