जलवायु परिवर्तन के बारे में उत्‍कृष्‍ट विस्तृत जानकारी

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City24News@ भावना कौशिश
नई दिल्ली। विश्व मौसम विज्ञान दिवस हर साल 23 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन 1950 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की स्थापना का स्मृतिदिवस है, जो मौसम विज्ञानियों के महत्वपूर्ण योगदान को उजागर करता है। इसी दिन, भारतीय नौसेना मौसम विज्ञान विश्लेषण केंद्र (आईएनएमएसी) और दक्षिणी नौसेना कमान में नौसेना समुद्र विज्ञान और मौसम विज्ञान स्कूल (एसएनओएम) द्वारा ‘मेघयान-24’ नामक एक मेटोक (मौसम विज्ञान और समुद्र विज्ञान) सेमिनार आयोजित किया गया, जो 28 मार्च 2024 को हुआ। इस सेमिनार का विषय ‘एट द फ्रंटलाइन ऑफ़ क्लाइमेट एक्शन’ था, जो डब्ल्यूएमओ द्वारा वर्ष 2024 के लिए प्रकट किया गया था।

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सेमिनार में अतिथि वक्ता भारतीय नौसेना महासागर सूचना प्रणाली केंद्र (आईएनसीओआईएस), हैदराबाद के डॉ. टीवीएस उदय भास्कर (वैज्ञानिक जी) और नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज फोरकास्टिंग (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ), नई दिल्‍ली के वैज्ञानिक ‘जी’ डॉ. राघवेंद्र आश्रित ने प्रस्तुतियां दीं। उन्होंने दर्शकों को वैज्ञानिक एजेंसियों द्वारा अपनाई गई नवीनतम तकनीकों और राष्ट्रीय स्तर पर नीति निर्माताओं को निर्णय लेने में मदद करने के लिए जलवायु डेटा की संगणना के बारे में बताया। इसके अलावा, विशेषज्ञ अधिकारियों द्वारा परिचालन विकास के लिएएमईटीओसी इनपुट/पूर्वानुमान प्रदान करने में भारतीय नौसेना और भारतीय वैज्ञानिक संगठनों द्वारा अपनाई गई नवीनतम तकनीकों को सामने लाते हुए ‘नौसेना संचालन पर मौसम और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव’ के विभिन्न विषयों पर पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं।

इस अवसर पर बेहतर और त्वरित निर्णय लेने को सशक्त बनाने वाले मौसम संबंधी जानकारी और पूर्वानुमान प्रसारित करने के लिए एक स्वदेशी मोबाइल एप्लिकेशन इन्‍द्र (इंडियन नेवल डायनेमिक रिसोर्स फॉर वेदर एनालिसिस) की भी शुरुआत की गई। एप्लिकेशन को भारतीय नौसेना के नौसेना समुद्र विज्ञान और मौसम विज्ञान निदेशालय के समन्वय में बीआईएसएजी (भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान) द्वारा विकसित किया गया है। इस कार्यक्रम में दक्षिणी नौसेना कमान के चीफ ऑफ स्टाफ रियर एडमिरल उपल कुंडू, नौसेना मुख्यालय के कमोडोर (एनओएम), कमांडर अभिनव बर्वे और श्री मिरेन करमता, निदेशक, बीआईएसएजी ने भाग लिया। सेमिनार ने मौसम एवं जलवायु सेवाओं पर ज्ञान और विस्‍तृत जानकारी साझा करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया।

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