सभी के लिए समान और समावेशी शिक्षा आवश्यक है – डॉ. कुसुम मलिक
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सभी के लिए समान एवं समावेशी शिक्षा पर बल देती है। इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु विद्यालय शिक्षा विभाग, हरियाणा के निर्देशानुसार जिला नूंह में निपुण हरियाणा मिशन के अंतर्गत सभी स्पेशल एजुकेटर्स के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन लघु सचिवालय स्थित जिला एफएलएन समन्वयक कार्यालय, नूंह में किया गया।
यह प्रशिक्षण PRASHAST-I टूल के प्रयोग एवं समावेशी गतिविधियों की योजना पर केंद्रित था। ये गतिविधियाँ आगामी बाल दिवस (14-15 नवम्बर 2025) को राज्यव्यापी अभियान “सबका बाल दिवस — एक दिन बचपन के नाम” के तहत आयोजित की जाएंगी।
हरियाणा राज्य में वर्तमान में केवल 0.5 प्रतिशत विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान हुई है, जबकि विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह संख्या कम से कम 2-3 प्रतिशत हो सकती है। जितनी जल्दी इन बच्चों की विशेष आवश्यकताओं की पहचान हो सके, उतना ही शीघ्र उन्हें आवश्यक सहायता मिल सकती है।
विद्यालय शिक्षा विभाग द्वारा भेजे गए प्रशिक्षक संजय ने PRASHAST-I टूल पर प्रशिक्षण दिया। उन्होंने शिक्षकों को निपुण हरियाणा शिक्षक एप के माध्यम से विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान और स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों में सीखने की कठिनाइयों की समय रहते पहचान अत्यंत आवश्यक है ताकि उन्हें समय पर सहायता मिल सके। इस स्क्रीनिंग का उद्देश्य बच्चों को “लेवल” करना नहीं, बल्कि उनकी सहायता करना है, जिससे शिक्षक अपने विद्यार्थियों का बेहतर मार्गदर्शन कर सकें।
डॉ. कुसुम मलिक ने बताया कि यदि बच्चों की विशेष आवश्यकताओं की पहचान प्रारंभिक वर्षों में नहीं हो पाती, तो उनके फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरेसी (एफएलएन) कौशल विकसित करने में कठिनाइयां आती हैं। यदि प्रारंभिक अवस्था में पहचान हो जाए, तो सरल एवं त्वरित कक्षा-आधारित गतिविधियों और वीडियो के माध्यम से बच्चों में बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान के कौशल प्रभावी ढंग से विकसित किए जा सकते हैं।
उन्होंने सभी स्पेशल एजुकेटर्स को आगामी 14 और 15 नवम्बर को विद्यालयों में आयोजित होने वाली समावेशी गतिविधियों के संचालन के संबंध में दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने शिक्षकों, विद्यार्थियों और अभिभावकों में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के प्रति संवेदनशीलता, सहानुभूति और सहयोग की भावना विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम के अंत में जिला एफएलएन समन्वयक ने सभी स्पेशल एजुकेटर्स के सक्रिय सहभाग के लिए आभार व्यक्त किया और उन्हें अपने-अपने खंडों में स्क्रीनिंग एवं समावेशी गतिविधियों को प्रभावी रूप से संपन्न करवाने के लिए टीम भावना के साथ कार्य करने हेतु प्रेरित किया।
