अंधाधुंध भू-जल दोहन से भूमिगत जल स्तर खतरनाक स्तर पर

–पानी की बर्बादी के लिए कौन जिम्मेदार सरकार -प्रशासन -जनता
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | अनुमानित एक दशक से भी अधिक समय से इंद्रदेव के रुष्ट हो जाने से वर्षा कम होने की वजह से जल स्तर में निरंतर गिरावट आ रही है और जल स्तर में बढ़ोतरी ना होने की वजह से साथ अंधाधुध अत्यधिक भू जल दोहन होने के कारण जल स्तर खतरनाक स्तर पर जा पहुंचा है। जिसको लेकर प्रशासन -सरकार – जनता गम्भीर नजर नही आ रही है। अगर सरकार व प्रशासन ने मेवात में हो रहे अंधाधुंध भुजल दोहन को रोकने के लिए कोई कठोर कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में फसलों की सिंचाई के लिए ही नहीं अपितु पीने के पानी के लिए भी तरस ना पड़ेगा। इस बारे में सर्वजातीय सेवा समिति के उपाध्यक्ष रजत जैन से बात की तो उन्होंने कहा कि मेवात के लगभग अस्सी पप्रतिशत गांवो मे भूमिगत पानी खा रहा है लेकिन अंधाधुन भूजल दोहन के कारण मीठे ट्यूबवेलो (बोरो) का पानी का स्वाद में भी परिवर्तन (बदलाव) हो गया है अर्थात उनका पानी भी खारा होना शुरू हो गया है। भूजल स्तर भी पातालशाही होना प्रारंभ हो गए हैं जिसकी वजह से आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है । वहीं किसानों के समक्ष भी स्थिति विकराल रूप धारण करती जा रही है। क्योंकि की सिंचाई के लिए लगाए गए पुराने नलकूप दम तोड़ चुके हैं। जिला में नहरों का सुखा होने व नहरों का पूर्ण अभाव होने की वजह से किसान ट्यूबवेल (बोरो- नलकूप )के पानी पर ही कृषि का कार्य करने को पूर्ण रूप से विवश है। रजत ने बताया कि लगभग 40 50 वर्ष पूर्व किसानों ने ट्यूबवेल ( बोर – नलकूप) लगाए थे उसे समय लगभग 20-25 फुट पानी निकल जाता था और एक एकड़ भूमि की सिंचाई में लगभग चार-पांच घंटे का समय लगता था लेकिन आज भूमिगत पानी का जलस्तर 350 से 450 फुट पर पहुंच चुका है ओर एक एकड़ भूमि की सिंचाई में लगभग दो से तीन दिन का समय लगता है और कुओं का पानी सूख चुका है या कुछ कुऐ अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं या जदोजेहद करने में लगे हुए हैं।
पानी की बर्बादी के लिए कौन जिम्मेदार:- रजत जैन ने बताया कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा पेयजलापूर्ति के लिए बिछाई गई पाइपलाइन में लीकेज (पानी का रिसाव) व जनता के द्वारा नलों पर ठुठ्ठी न लगाए जाने की वजह से लाखों लीटर पानी व्यर्थ में बहकर बर्बाद हो जाता है।
निजी स्वार्थ के लिए जल की बर्बादी:- रजत ने बताया की निजी स्वार्थ के चलते टैंकर मलिक टैंकरों से पानी की सप्लाई कर रहे हैं तथा सेवा के नाम पर जमकर चांदी कूट रहे हैं। वहीं बिना लाइसेंस के नूँह ,तावडू, पिनगवां,ईंंडरी, फिरोजपुर झिरका नगीना पुनहाना आदि छोटे बड़े गांव व कस्बों में लगभग एक दर्जन से भी अधिक सर्विस स्टेशनों पर अंधाधुन पानी को बर्बाद किया जा रहा है जिसका जल स्तर पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है।
जल स्तर को ऊंचा उठाने को लेकर सरकार व प्रशासन गंभीर नहीं:- रजत जैन ने बताया कि जिला नूहू में 1968 – 69 में बाढ़ से हुए नुकसान के पश्चात व सूखे की स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने दर्जनों गांवो में रिंग व चेक डैम बनवाऐ। जिन में कामेडा, रावली, नगीना, नांगल मुबारिकपुर, गुंमटबिहारी, नोंटकी, झिमरावट, खानपुर घाटी, खेडलीकला,तिगांव, रवा,भोंड, ढोंढ आदि गांव में रिंग डैम बनाएं लेकिन वर्ष के दिनों में इन बांधों की मोरी (गेट) बंद न होने की वजह से पानी नहीं रुकता है जिसकी वजह से ऐसे में जलस्तर का ऊंचा ( ऊपर) उठाना मुश्किल है।
नहरों से नहीं मिलता सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी:- जिला नूह में मुख्य दो नहरे हैं, गुड़गांव कैनाल व आगरा कैनाल। तुमसे पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलता है और ना ही इनका पानी का भी आखरी छोर तक पहुंचता है। जिसकी वजह से जहां किसान नहरों के पानी से सिंचाई नहीं कर पाते हैं वे मात्र ट्यूबवेल के पानी पर ही निर्भर रहता है।
पुराने ट्यूबवेल फेल सबमर्सिबल पर निर्भर:- रजत जैन ने बताया की अगर इस बार वर्षा कम हुई और प्रशासन- सरकार- जनता समय रहते नहीं जागए तो आने वाले समय में पेयजल के साथ-साथ सिंचाई के लिए भी पानी के लाले पड़ जाएंगे। गांव, कस्बा,शहरों में पेयजल व सिंचाई के लिए लगाए गए ट्यूबवेल (नलकूप) नकारा (फेल) साबित हो चुके हैं। अब जनता कार्य के लिए सबमर्सिबल लगा रही है और लगातार जल स्तर गिरता जा रहा है।वर्ष 1971 में लगभग 25-30,फुट,1981 में लगभग 50-60 फुट,1991 में लगभग 80-105 फुट,2001 में लगभग 125 -160 फुट,2011 में लगभग 170-225 फुट,2021 में लगभग250 से 300 फुट , वर्तमान में लगभग 350 से 450 फुट के लगभग स्तर है।अगर सरकार प्रशासन व जनता समय रहते हुए नहीं जागे तो आने वाले समय में पानी के लाले पड़ जाएंगे और जनता पानी के लिए रास्तो व मार्गो पर लड़ती नजर आएगी। विकास के नाम पर जंगल कंक्रीट में परिवर्तित होते जा रहे हैं। जिसकी वजह से वर्षा का पानी पूर्ण रूप से भूमिगत मार्ग से जमीन में नहीं पहुंच पाता है।
पारंपरिक जल स्रोतों का हो उपयोग:- जिला नूंहू में गिरते भूजल स्तर को रोकने व इसे ऊंचा उठने के लिए आधुनिक जल संचय स्रोतों के अलावा कुआं,बावड़ी ,तालाब ,जलाशय,जोहड़ों, आदि जैसे पारंपरिक जल संचय स्तोत्रो का भी संपूर्ण मात्रा में उपयोग किया जाना चाहिए। जल संचय प्रणाली का प्रयोग करें। सरकारी व गैर सरकारी कार्यालय में वर्षा जल संचयन प्रणाली का प्रयोग हो। नए बनने वाले भवनों में जल संचयन प्रणाली अनिवार्य हो। सरकारी खाली पड़ी भूमि पर जल संचयन प्रणाली का पूर्ण उपयोग किया जाए।
अच्छी वर्षा के लिए पौधा रोपण व वृक्षारोपण करें:-स्वच्छ पर्यावरण व अच्छी वर्षा के लिए व्यक्ति को अधिक से अधिक पौधरोपण व वृक्षारोपण करना चाहिए व उनका बच्चों की तरह पालन पोषण करना चाहिए जितने ज्यादा वृक्ष होंगे उतनी अधिक वर्षा होगी ।क्योंकि वृक्ष वर्षा लाने में सहायक होते हैं।
हरित पट्टी पर अतिक्रमण:- वन विभाग के द्वारा पौधारोपण व वृक्षारोपण के लिए छोड़ी गई है हरित पट्टी अतिक्रमण की चपेट में आई हुई ऐसे में वृक्षारोपण का लक्ष्य भी पूर्ण कर पाना असंभव नजर आ रहा है। जब संपूर्ण मात्रा में वृक्ष ही नहीं लगेंगे तो पर्यावरण कैसे निर्मल व स्वच्छ होगा और साथ ही अच्छी वर्षा की उम्मीद करना भी व्यर्थ (बेकार- बेईमानी)होगा। वन विभाग, पंचायती भूमि, नगरपालिका, नगरपरिषद, महाविद्यालय ,विद्यालय ,स्वास्थ्य केंद्र, जन स्वास्थ्य व अभियांत्रिकी विभाग ,अन्य। सरकारी व गैर सरकारी विभागों की पेड़ पौधा लगाने योग्य भूमि पर पौधरोपण व वृक्षारोपण करना चाहिए। हर मांगलिक कार्यक्रम पर व्यक्ति को पौधरोपण या वृक्षारोपण अवश्य करना चाहिए।
व्यावसायिक जल क्रीड़ा केंद हो बन्द:- मनोरंजन व व्यायाम के नाम पर खोले गए व्यावसायिक जल क्रीड़ा केंद्र लाखो लीटर पीने योग्य पानी को मात्र अपने निजी स्वार्थ के लिए बर्बाद कर रहे हैं। एक तरफ तो सिंचाई व पेयजल के लिए हाहाकार मच रहा है और दूसरी और जल क्रीड़ा केंद्र में आनंद व मस्ती के लिए पानी की बर्बादी हो रही है। ऐसे जल क्रीड़ा केंद्रों को सरकार को तुरंत प्रभाव से बंद करना चाहिए ताकि सिंचाई व पेयजल के लिए पानी बचाया जा सके।
जल का सदैव करें आदर व सम्मान:- रजत जैन ने कहा की जल का सदैव आदर व सम्मान करना चाहिए व्यर्थ में पानी को बर्बाद करना जल का अपमान करना है।इससे ईश्वर भी नाराज होता है। जितना पानी की आवश्यकता हो उतना ही पानी लेना चाहिए ना कि ज्यादा पानी ले। पानी व्यर्थ बर्बाद ना करें, नल से पानी भरने के पश्चात ठुठ्ठी को अवश्य बंद करें। कपड़ा धोने के पश्चात पानी को ना फेक उसे नितार कर अगले दिन फिर कपड़ा धोने के कार्य में ले घर के साफ-सफाई भी इसी पानी से करें नहाने के लिए बड़ी बाल्टी व बड़ा मग्गा का प्रयोग ना करें। बल्कि छोटी बाल्टी व गिलास का प्रयोग करें ,हाथ नल पर धोने की बजाय गिलास में पानी भरकर धोए। नल के नीचे सदैव खाली पात्र रखें जिससे कि अगर पानी फैले तो व खाली पात्र में एकत्रित हो जाए। पानी पीने के लिए छोटा पात्र का प्रयोग करें। प्रतिदिन गाड़ियों को ना धोये। विशेष आवश्यकता पड़ने पर ही सर्विस स्टेशन पर गाड़ियों की धुलाई कराए। घर पर कपड़े धोने इत्यादि के बचे हुए पानी से ही अपने वाहनों की सफाई करें। जल संचयन प्रणाली का प्रयोग करें। जल संचयन प्रणाली का प्रयोग करें। इसलिए सदैव जल का उपयोग सावधानी से करें। बच्चों को भी जल का महत्व अवश्य बताऐ। ताकि आने वाली पीढ़ी का भविष्य भी सुरक्षित व आनंदमय रह सके।