संचालित स्कूलों की दर्जनभर बसें कबाडियों के सुपुर्द

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City24news@सुनील दीक्षित  

  कनीना | दादरी सडक मार्ग पर बीती 11 अप्रैल,ईद के अवकाश के दिन उन्हाणी के समीप घटित स्कूल बस सडक हादस के बाद सरकार की ओर से बरती गई सख्ती के बाद कनीना सब डिवीजन के विभिन्न गावों तथा शहर में संचालित निजी स्कूल संचालकों ने अपनी कंडम बसों को कबाडी को दे दिया है। इस हादसे में झाडली के 4 तथा धनौंदा के दो छात्रों सहित 6 विद्यार्थियों की दर्दनाक मौत होने के साथ-साथ 25-30 विद्यार्थी घायल हो गए थे। हादसे के बाद पूरा प्रदेश स्तब्ध हो गया था। सरकार द्वारा बरती गई सख्ती के बाद निजी स्कूलों की ओर से मजबूरन कंडम बसों को रोड से हटाने का फैसला लिया।  माना जा रहा था कि ऐसी अनेकों बसें स्कूल कैंपस में खडी स्कूल तथा संचालकों की शोभा बढा रही थी। प्रशासन की ओर से इन बसों की फिटनेस एवं कागजात की जांच की तो वे जांच में खरी नहीं उतरी। अधिकारियों ने ऐसी बसों के खिलाफ इंपाऊड तथा चालान करने की कार्रवाई शुरू की तो कुछ स्कूल संचालकों द्वारा बसों में छोटे बच्चों को बैठाकर खेल-खेल में कक्षा लेने की दलील दी गई तो कुछ ने लोहे का रेट कम होने की वजह से कंडम बसें नहीं बेचे जाने की बात कही। प्रशासनिक कार्रवाई से राहत मिलते ही कनीना के विभिन्न स्कूलों की दर्जनों से अधिक बसें कबाड के भाव में जींद,दादरी व अन्य स्थानों से आए कबाडी को बेच दी गई। इस बारे में बाकायदा तहसील कार्यालय से बस बेचने वाले स्कूल संचालक तथा खरीदने वाले कबाडी के शपथ पत्र भी भरे गए। पिछले 10 दिन के अंतराल में दर्जनभर से अधिक बसों को कबाड में बेचे जाने के एफिडेविट तैयार किए गए।
इस बारे में कनीना सिविल कोर्ट कैंपस में कार्यरत अधिवक्ता विक्रम सिंह यादव ने बताया कि निजी स्कूलों की कंडम बसेें बेचे जाने को लेकर हाल ही में दर्जनभर शपथ पत्र तैयार कराए गए थे। फिटनेस प्रमाण पत्र व जागजात से हट चुकी बसों को शपथ-पत्र के माध्यम से स्कूल संचालकों द्वारा कबाडी को बेच दिया गया है। जिसे स्कूल बस सुरक्षित वान पॉलिसी के लिए अच्छा कदम माना जा रहा है।  

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