विवाह-शादी एवं सामाजिक समारोह में देररात तक डीजे बजने का शोर,जिला प्रशासन के आदेश दरकिनार
बिना अनुमति तथा ऊंची आवाज में डीजे बजने से बच्चे-मरीज तथा दुधारू जानवर भी परेशान
City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | विवाह-शादी एवं सामाजिक समारोह में आजकल गांव-शहर तथा मुख्य सडक मार्गों से कानफोडू डीजे का शोर सुनाई दे रहा है, जिससे प्रयावरण प्रदूषण के चलते ग्रैप-4 लागू होने के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण भी बढ रहा है। बीते समय जिला उपायुक्त की ओर से डीजे बजाने पर नियंत्रण रखने के आदेश जारी किए थे जो अब धराशाई हो रहे हैं। आयोजक जिला प्रशासन के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए देर रात्री तक ऊंची आवाज में डीजे बजाते हैं। जिससे नजात बच्चे-बिमार व्यक्ति सहित दुधारू जानवरों पर विपरीत प्रभाव पड रहा है। उनकी धडकन बढने से नई बिमारी पनपने का अंदेशा है। दुधारू पशु समय पर दूध नहीं दुहने दे रहे हैं। आवाज सुनने के मानक डेसीबल-एम्लीट्यूड को दरकिनार कर मनमर्जी आवाज में डीजे बजाए जाते हैं। सडक पर आते-जाते ऊंची आवाज में बजने वाले डीजे से सडक हादसे घटित होने की आशंका रहती है। पिछले कुछ समय से वैवाहिक, कुआं पूजन,धार्मिक यात्रा आदि के समय डीजे का प्रचलन बढा है। स्वास्थ विशेषज्ञों के मुताबकि एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए 50 डेसीबल तक ध्वनि सुनने लायक होती है। लेकिन कई स्पीकरों वाले डीजे की तीव्रता 500 डेसिबल होती है। जिसे सुनकर आमजन की रूह कांप उठती है। उनकी राय के मुताबिक दिन के समय 25-30 डेसीबल तथा रात्री के समय 20-25 डेसीबल तक ध्वनि होनी चाहिए। रात्री 10 बजे बाद डीजे बजाने पर पाबंधी है लेकिन आयोजन पक्ष की ओर से रातभर डीजे बजाया जाता है।
इस बारे में उप नागरिक अस्पताल कनीना के चिकित्सक डॉ.सुदंर लाल ने बताया कि एम्पलीट्यूड, आवाज तरंग के रूप में चलती रहती है। आवाज की तंरग की स्पीड जितनी हैवी होगी उतना ही नुकसानदायक मानी जाती है। साऊंड बढने से एम्लीट्यूड बढ जाता है। कान के सुनने की क्षमता सेे अधिक आवाज साऊंड पोल्यूशन को जन्म देती है। घर में बजने वाला साऊंड-टीवी आदि 10 डीबी तक होती है। सडक किनारे ये आवाज 100-120 डेसीबल तक पंहुच जाती है। सार्वजनिक सभाओं,जलसों व यात्राओं में 50 डेसिबल से अधिक आवाज में डीजे नहीं चलाया जाना चाहिए। नियमों का उलघंन करने वाले डीजे संचालकों के खिलाफ सजा एवं जुर्माने का भी प्रावधान है।
डॉ.जेके मोरवाल ने बताया कि ऊंची ध्वनि मस्तिष्क में तनाव पैदा करती है वहीं चिड़चिड़ापन बढने के साथ-साथ रक्तचाप भी बढ जाता है। तीव्र ध्वनि से प्रजनन की क्षमता प्रभावित होती है मानसिक रूप से विकलांग शिशु जन्म की संभावना बढ जाती है। ऋषि-मुनियों ने एकांत व शांत वातावरण में रहकर तप कर दीर्घ आयु प्राप्त की। डीजे की धुन से स्वयं ही सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।
इस बारे में एसडीएम अमित कुमार ने कहा कि डीजे बजाने के लिए अनुमति लेना जरूरी है। रात 10 बजे तक धीमी आवाज में डीजे बजा सकते हैं। बिना अनुमति के बजाए जाने वाले डीजे का चालान एवं जब्त किया जा सकता है। डीजे को धीमी गति से बजाने की अनुमति दी जाती है। तेज तथा ऊंची आवाज में डीजे बजाने की पाबंदी है।
थाना अध्यक्ष निरीक्षक मुकेश कुमार ने बताया कि बिना अनुमति तथा ऊंची आवाज में बजने वाले डीजे पर नजर रखी जा रही है। ऐसा पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। विवाह समारोह सहित गांव एवं शहर में रात्री 10 बजे बाद डीजे बजाने की पाबंदी है। आदेशों को उलघंन करने वाले डीजे संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।