हड़ताल के कारण एम्बुलेंस न मिलने के कारण आटो में हुई डिलीवरी, जच्चा बच्चा को सुरक्षित निलकालते स्वास्थ्यकर्मी

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City24news/कविता गौड़
फरीदाबाद। संस्थागत प्रसुति को बढ़ावा देने के लिए और गर्भवती महिलाओं के घर के निकट ही स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन एनएचएम की 14वें दिन और एचआईवी की आठवें दिन कर्मचारियों की हड़ताल में 112 एम्बुलेंस ड्राइवरों और आॅपरेटरों के अलावा ईएमटी के शामिल होने के कारण गर्भवती महिलाओं को एम्बुलेंस नहीं मिल पा रही है। जिस कारण गर्भवती महिलाओं को परेशानियों का सामना करने को मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसा ही बृहस्पतिवार को बीके सिविल अस्पताल के अपातकालीन कक्ष के बाहर देखने को मिला। जहां बीके सिविल अस्पताल से रेफर की गई, एक गर्भवती महिला की डिलीवरी आॅटो में ही हो गई। परिजनों का आरोप है कि एम्बुलेंस या गाड़ी न मिलने के कारण उन्हें दिल्ली ले जाने में दिक्कते हुई, ऐसे में उन्होंने एक आॅटो किया, वह माना तो जैसे ही गर्भवती को ले जाने की तैयारी करने लगे, तो उसी दौरान गर्भवती की डिलीवरी हो गई। वहीं ड्यूटी डॉक्टर प्रोनिता ने कहा कि उन्होंने उसे प्लेटलेट्स कम और खून की कमी के कारण रेफर किया था। लेकिन परिजन लेकर नहीं गए, ऐसे में आॅटो में डिलीवरी हो गई, तो उन्होंने स्टाफ को भेजकर जच्चा बच्चा को सुरक्षित प्रसुति वार्ड में पहुंचाया।
वहीं बीके सिविल अस्पताल के अपातकालीन कक्ष में इलाज न मिलने से दो की और रेफर हुए मरीज को दिल्ली तक न पहुंचा पाने के कारण मौत हो गई। तीन मौत का जिम्मेवार आखिर किसे ठहराया जाएगा, सरकार को जो डिलीवरी हट सेंटरों और बंद पडेÞ 112 एम्बुलेंस नियंत्रण कक्ष को सूचारू रूप से नहीं चला पा रही है, उसे या फिर जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों या चिकित्सकों व स्टाफ को जो सिविल अस्पताल में बढ़ते मरीजों की संख्या को नहीं संभाल पा रहे है। ये सवाल अब एक पहेली बनकर पूरे जिले में गूंज रहे है।

आॅटो में डिलीवरी: राजकुमार की पत्नी चांदनी पिछले दिनों गर्भवती थी। उसे प्रसव पीडा होने पर बीके सिविल अस्पताल के प्रसुति वार्ड में परिजनों ने भर्ती करवा दिया, लेकिन चिकित्सक ने जांच के बाद प्लेटलेट्स कम होने और खून की कमी होने के कारण चांदनी को रेफर कर दिया। परिजनों ने गाड़ी की तलाश की, न तो उन्हें कोई एम्बुलेंस मिली और न ही गाडी, जिससे गर्भवती चांदनी को लेकर बीके से दिल्ली जाया जा सके। अंत में घंटो बाद उन्हें एक आॅटो चालक मिल गया, जो उसे ले जाने के लिए राजी हो गया, लेकिन आॅटो में ही चांदनी की डिलीवरी हो गई, जिस पर अपातकालीन कक्ष के बाहर लाकर परिजनों ने चिकित्सक को सूचना दे दी। चिकित्सक ने स्टाफ के संग पहुंचकर जच्चा और बच्चा को अस्पताल में भर्ती करवाया।

हो रहा जान से खिलवाड़, तीन की मौत : बीके सिविल अस्पताल में मरीजों की जान से खिलवाड़ भी हो रहा है। अपातकालीन कक्ष में दो दिन में तीन लावारिस मरीजों की मौत हो गई। बुधवार को एक के बाद एक दो लावारिस मरीजों की मौत हो गई, जिनमें से एक लगभग 55 साल की बुजुर्ग महिला शांति देवी और एक 60 साल के बुजुर्ग शामिल है। इन्हें कुछ दिन पहले ही इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। लेकिन अस्पताल में उनका इलाज सही से नहीं किया गया।वहीं मंगलवार को भी लगभग 46 साल के एक शख्स की मौत हो गई थी, जिसे सेक्टर 37 इलाके से एएसआई गजेंद्र ने इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इनका इमरजेंसी ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर पारुल ने प्राथमिक उपचार देकर उसकी गंभीर हालत को देखते हुए दिल्ली के सफदरजंग इलाज के लिए रेफर किया था और तुरंत आॅक्सीजन लगाने के लिए स्टाफ नर्स को कहा था। लेकिन स्टाफ नर्स ने उसे घंटों तक आॅक्सीजन नहीं लगाई। जीडीए न होने के कारण उसे दिल्ली नहीं ले जाया जा सका। इसके चलते उस शख्स ने तड़प तड़प कर बेड पर ही दम तोड़ दिया। फिलहाल तीनों अज्ञात मरीजों के शव बीके सिविल अस्पताल की मोर्चरी में पहचान के लिए रखे गए है।

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