रक्षा मंत्री ने कमांडरों सम्मेलन में वरिष्ठ नेतृत्व को किया संबोधित
City24News@ भावना कौशिश
नई दिल्ली। नई दिल्ली में एक सेना कमांडरों का सम्मेलन आयोजित हो रहा है। यह द्विवार्षिक कार्यक्रम है जिसमें सेना के शीर्ष नेतृत्व ने सुरक्षा परिदृश्यों, सीमाओं की स्थिति, और अन्य चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया। इसमें संगठनात्मक पुनर्गठन, तकनीकी समावेश, और वैश्विक स्थितियों का आकलन भी हुआ।
रक्षा मंत्री ने कहा कि विश्व की वर्तमान जटिल स्थिति सभी को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि “हाइब्रिड युद्ध सहित अपरंपरागत और असीमित युद्ध भविष्य के युद्धों का हिस्सा होगा। भविष्य में साइबर, सूचना, संचार, व्यापार और वित्त संघर्षों का एक अविभाज्य हिस्से के रूप में सामने आ रहे हैं। इसके लिए आवश्यक हो गया है कि सशस्त्र बलों को योजना निर्धारण और रणनीति गठन के समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना होगा।
उत्तरी सीमाओं पर वर्तमान स्थिति पर, माननीय रक्षा मंत्री ने पूर्ण विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे सैनिक दृढ़ हैं, शांतिपूर्ण समाधान के लिए चल रही वार्ता जारी रहेगी। विघटन और डी-एस्केलेशन आगे का रास्ता है। रक्षा मंत्री ने सीमा सड़क संगठन के प्रयासों की सराहना की, जिसके कारण कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए पश्चिमी और उत्तरी दोनों सीमाओं में सड़क संचार में परिमाण सुधार हुआ है।
रक्षा मंत्री ने पश्चिमी सीमाओं पर स्थिति का उल्लेख करते हुए सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए भारतीय सेना की प्रतिक्रिया की सराहना की। उन्होंने कहा कि हालांकि दुश्मन द्वारा छद्म युद्ध जारी है। रक्षा मंत्री ने कहा, “मैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खतरे से निपटने में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल/पुलिस बलों और सेना के बीच उत्कृष्ट तालमेल की सराहना करता हूं। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में समन्वित अभियान, क्षेत्र में स्थिरता बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं और इसे जारी रखना चाहिए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा कूटनीति, स्वदेशीकरण, सूचना युद्ध, रक्षा आधारभूत अवसंरचना और सशस्त्र बल आधुनिकीकरण से संबंधित मुद्दों पर हमेशा ऐसे मंच पर चर्चा की जानी चाहिए। सशस्त्र बलों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए जब भी आवश्यक हो, सैद्धांतिक परिवर्तन किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि कमांडरों के सम्मेलन जैसे मंच पर वरिष्ठ नेतृत्व द्वारा की गई सिफारिशों और सुझावों पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो समीक्षा और संशोधन के साथ एक तार्किक निष्कर्ष पर ले जाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र को अपनी सेना पर गर्व है और सरकार सुधारों और क्षमता आधुनिकीकरण के मार्ग पर सेना को आगे बढ़ने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।