इंद्रियों पर नियंत्रण रखना और विषयो में नहीं फंसना उत्तम संयम धर्म : महावीर

City24news/अनिल मोहनिया
-इंद्रियों को वश में करना ही उत्तम संयम धर्म : नम्बरदार
-मन, वचन, काय, की अशुभ प्रवत्तियों का त्याग करना ही :संयम धर्म
-पांचो इंद्रियों पर शासन करना ही संयम: जैन
नूंह | मन वचन काय की अशुभ प्रवत्तियों का त्याग करना, इंद्रियों को वश में करना उत्तम संयम धर्म है।सम का अर्थ पूर्णरुप से ओर यम का अर्थ रोकथाम।इस प्रकार पूर्णरुप से इंद्रिय निरोध का नाम संयम है।जैन धर्म के दशलक्षण धर्म में उत्तम संयम धर्म छठा धर्म है। उक्त जानकारी हरियाणा नम्बरदार एसोसिएशन पूर्व जिला अध्यक्ष महावीर प्रशाद जैन नम्बरदार ने बताया की संयम दो प्रकार का कहा गया है।पहला संयम: प्राणी मात्र की रक्षा करना व रक्षा करने का भाव हमेशा होना प्राणी संयम है, दूसरा इंद्रिय संयम: पांच इंद्रियों मन को नियंत्रण में रखना तथा रखने का भाव होना ही इंद्रिय संयम है। जिसमें संयम नहीं है जो असंयमित है। वह तप धर्म को अंगिकार नहीं कर सकता, धर्म के इस लक्षण को धारण करे बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते क्योंकि संयम को तप की पहली सीढ़ी कहा है। जैन ने बताया कि वात्सल्य अंग,स्थितिकरण, और विनय ये संयम पालन करने में सहायक है। पांच महाव्रत, पांच समिति ,तीन गुप्ति का पालन, चार कषायों का त्याग और मन वचन काय का निग्रह ही संयम है। पांच इंद्रियों पर शासन करना ही संयम है। इंद्रियों पर नियंत्रण रखना और विषयों में नहीं फंसना भी उत्तम संयम धर्म है।