लैब में तैयार होंगे पौधों के ‘क्लोन’

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City24News@ भावना कौशिश
नई दिल्ली। दिल्ली से लुप्त हो रहे स्थानीय पौधों को बचाने के लिए असोला भाटी वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी में वन विभाग टिशू कल्चर लैब बनाने जा रहा है। इसका मकसद पौधों की प्रजातियों के संरक्षण के साथ ही पर्यावरण की रक्षा करना है। इस लैब में उन प्रजातियों के पौधों को रीजनरेट किया जाएगा, जो आसानी से नहीं मिल रहे हैं।

कीकर की वजह से नहीं बच पाते पौधे
वन विभाग के अधिकारी के अनुसार अरावली व रिज क्षेत्र में विलायती कीकर की अधिकता की वजह से कुछ पौधों की प्रजातियों को बचाना चुनौती बनता जा रहा है। वन विभाग के अडिशनल चीफ कंसर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट सुनीश बक्शी ने बताया कि विलायती कीकर की वजह से यह प्रजातियां पनप नहीं पा रही हैं। ऐसी प्रजातियों की एक लिस्ट भी डिपार्टमेंट ने तैयार की है। इसमें हिंगोट, खैर, बिस्टेंदु, सिरिस, पलाश, चमरोड, दूधी, धऊ, देसी बबूल और कुलु आदि शामिल हैं।

साइंटिस्ट्स करेंगे मदद
वन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार इस लैब को बनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई है। अगर बिडर नहीं आए तो सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग से इस लैब को बनाने को कहा जाएगा। लैब के लिए बोटेनिस्ट और फॉरेस्ट स्टाफ की जरूरत होगी। इस काम में विभाग इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन (ICFRE) और देहरादून के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) के बोटेनिस्ट और साइंटिस्ट्स की मदद लेगा। लैब तैयार होने के बाद बड़े पेड़ों के प्लांट टीशू को निकाला जाएगा और इनसे कई पौधे तैयार किए जाएंगे। हालांकि बायोडायवर्सिटी एक्सपर्ट के अनुसार यह प्रक्रिया सिर्फ उन पौधों के साथ होनी चाहिए जो काफी कम रह गए है। इकोलॉजिस्ट विजय दशमाना के अनुसार टीशू से पौधे बनाना एक तरह का क्लोन तैयार करना है। वहीं वन विभग के अनुसार पौधों को लगाने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इन पौधों में क्लोनिंग स्टेज पर कोई वायरस या बीमारी न हो।

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