टेढ़े-मेढे पैर वाले बच्चों का किया जाता है इलाज : उप सिविल सर्जन डा. रामेश्वरी 

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City24news@हेमलता

पलवल | राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तत्वावधान में सिविल सर्जन डा. नरेश गर्ग के दिशा-निर्देशन व उप सिविल सर्जन डा. रामेश्वरी के मार्गदर्शन में डीईआईसी द्वारा क्लब फुट (पैर के पंजे का अंदर की तरफ मुडा होना) से ग्रस्त बच्चों के लिए शिविर आयोजित किया गया। शिविर में नोडल अधिकारी एवं हड्डी रोग सर्जन डा. दिनेश सोनी की देखरेख में डा. लितेश मलिक द्वारा क्लब फुट वाले बच्चों के पैरों में प्लास्टर लगाए गए तथा अनुष्का फाउंडेशन द्वारा बच्चों को ब्रास व जूते वितरित किए गए। 

उप सिविल सर्जन डा. रामेश्वरी ने बताया कि क्लब फुट एक ऐसी विकृति है, जिसमें बच्चा बड़ा होकर चलने-फिरने, खेलकूद व दौड़ लगाने तथा दैनिक कार्य करने में असमर्थ रहता है, लेकिन क्लब फुट की विकृति को ठीक होने के बाद बच्चा अपने दैनिक कार्य व किसी भी खेलकूद में भाग लेकर तथा अपने सारे दैनिक कार्य करने में समर्थ हो जाता है और सामान्य जीवन व्यतीत करने में सक्षम बन जाता है। 

डीईआईसी की प्रबंधक डा. साक्षी शर्मा ने इस अवसर पर माताओं व अभिभावकों को जन्मजात रोगों के बारे में भी जागरूक किया तथा अभिभावकों को प्रत्येक सोमवार को क्लब फुट वाले बच्चों का इलाज करवाने की सलाह दी। इसके अलावा डीईआईसी सेंटर द्वारा जन्मजात विकृति जैसे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (पीठ पर फोड़ा होना), क्लेफ्ट लिप एंड क्लेफ्ट पैलेट (कटे होंठ व कटा तालु), जन्मजात बहरापन, अंधापन, डाउन सिंड्रोम, जन्मजात मोतियाबिंद, रेटिनोपैथी ऑफ प्रिमेच्योरिटी, गंभीर एनीमिया, विटामिन ए, बी तथा विटामिन डी की कमी, कुपोषण, चर्म रोग, दंत रोग, कान बहना, ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक), श्वसन संबंधी, मिर्गी, भेंगापन, शारीरिक व मानसिक विकास में देरी, बोलने व चलने में देरी, न्यूरो मोटर इंपेयरमेंट, हियरिंग इंपेयरमेंट, रिफ्रैक्टिव एरर, मंदबुद्धि (लर्निंग डिस्ओडर) तथा स्पीच एंड लैंग्वेज डिले (बोलने में देरी) आदि से ग्रस्त बच्चों को जिला नागरिक अस्पताल के डीईआईसी सेंटर द्वारा विभिन्न विभागों व टर्सरी लेवल (तृतीयक स्तर)  पर हायर सेंटर में भेज कर उचित उपचार करवाया जाता है।

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