सीएए देशभर में हुआ लागू ! 10 बड़े अपडेट जानिए !
City24News@ भावना कौशिश
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी सरकार ने बड़ा दांव खेल दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीएए को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस बात पर पहले भी चर्चा हुई थी कि गृह मंत्रालय सीएए को लेकर कोई बड़ा फैसला कर सकता है। गृह मंत्री अमित शाह पहले भी कई बार अपनी रैलियों से भी सीएए को लागू करने की बात कह चुके हैं। अब नोटिफिकेशन जारी होने के बाद देश भर में 11 मार्च यानी आज से सीएए का कानून लागू हो गया है। जानकारी के लिए बता दें कि सीएए को संसद से पारित हुए लगभग 5 साल पूरे हो गए हैं।
इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से दस्तावेज के बिना आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का रास्ता साफ हो गया है।
नागरिकता संशोधन कानून से जुड़े 10 बड़े अपडेट यहां जानिए।
1. भारत की नागरिकता के लिए आवेदन करने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। ऐप्लिकेंट ऑनलाइन तरीके से ही देश में आने का समय बताते अप्लाई कर सकेंगे।
2. भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए शरणार्थी नागरिकता के लिए आवेदन कर पाएंगे।
3. नागरिकता अप्लाई करने वालों में हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म के लोग शामिल होंगे।
4. कहा जा रहा है कि केवल 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी।
5. सीएए को दिसंबर 2019 में संसद में पारित किया गया था। बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे। यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका था क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अब तक अधिसूचित किया जाना बाकी था, लेकिन अब रास्ता साफ हो गया है।
6. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए को लागू होने से को कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है। इस बीच, पिछले दो वर्षों में नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला अधिकारियों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम-1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्तियां दी गई हैं।
7. गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, एक अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक इन तीन देशों के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई।
8. असम और पश्चिम बंगाल में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील है, लेकिन सरकार ने इन दोनों राज्यों में से किसी भी जिले को अब तक नागरिकता प्रदान करने की शक्ति नहीं प्रदान की है।
9. सीएए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं ने कानून के खिलाफ याचिका दायर कर कहा था कि ये कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से सिर्फ हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को ही भारत की नागरिकता देता है, इसमें म्यांमार में सताए रोहिंग्या, चीन के तिब्बती बौद्ध और श्रीलंका के तमिलों को जगह नहीं दी गई।
10. अदालत ने केंद्र सरकार को इस बाबत नोटिस भी जारी किया था और सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। जानकारी के अनुसार कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 250 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गई थीं। अदालत 18 दिसंबर 2019 को ही नागरिकता संशोधन कानून पर रोक वाली याचिका खारिज कर चुकी है।