20 मुख्यमंत्री और एनडीए के कुनबे को एक मंच लाकर बीजेपी ने दिए 4 संदेश

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20 मुख्यमंत्री और एनडीए के कुनबे को एक मंच लाकर बीजेपी ने दिए 4 संदेश
चंडीगढ़/पंचकूला। हरियाणा के पंचकूला में नायब सिंह सैनी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में न सिर्फ एनडीए शासित 20 राज्यों के मुख्यमंत्री आए, बल्कि एनडीए गठबंधन के सभी दलों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। हरियाणा की जीत के बाद शपथ ग्रहण में ऐसा मंच सजाया, जिसमें लोकसभा चुनाव में कम सीटों की कसक पूरी कर ली। आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्राबाबू नायडू, जेडी यू के नेता ललन सिंह, लोजपा के चिराग पासवान, शिवसेना के एकनाथ शिंदे, केंद्रीय मंत्री जयंत सिंह, जीतन राम मांझी और सिक्किम के सीएम प्रेम सिंह तमांग समेत एनडीए का पूरा कुनबा मौजूद रहा। लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका था, जब एनडीए के सभी घटक एक मंच पर लाकर बीजेपी ने विपक्ष को एकजुटता का बड़ा संदेश दे दिया।

कांग्रेस के नैरेटिव को धो डाला

हरियाणा विधानसभा में 90 सीटें हैं और बीजेपी को 48 सीटों पर जीत मिली थी। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। एनडीए के जीत के बाद भी कांग्रेस ने ऐसा नैरेटिव देने का प्रयास किया, जिससे लगा कि उसने नरेंद्र मोदी और बीजेपी को मजबूर कर दिया है। इसके अलावा कांग्रेस एनडीए में फूट और केंद्र की सरकार उल्टी गिनती के दावे भी करती रही है। इस नैरेटिव का असर ही था कि कांग्रेस हरियाणा में बड़ी जीत का दावा कर रही थी और बीजेपी के नेता दबी जुबान से जीत की उम्मीद जता रहे थे। पंचकूला के सेक्टर 5 स्थित दशहरा मैदान में एनडीए नेताओं के जुटान से बीजेपी कांग्रेस के दोनों नैरेटिव को धो दिया। हरियाणा की जनता को यह बताने में सफल रही कि बीजेपी के साथ देश की कई पार्टियां खड़ी हैं। लोकल स्तर पर कार्यकर्ताओं का मनोबल सातवें आसमान पर पहुंचा दिया।

एनडीए रहा एकजुट

लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में एनडीए और इंडिया गठबंधन की पहली टक्कर हुई। वैसे तो मुकाबला एक-एक से बराबर रहा, मगर हरियाणा की जीत ने बीजेपी के हौसले बुलंद कर दिए। दूसरी ओर हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों ने कांग्रेस को नसीहत देना शुरू कर दिया था। शिवसेना और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन नहीं करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की थी। नायब सैनी के शपथ ग्रहण में जुटे कुनबे से यह संदेश साफ हो गया कि एनडीए के सहयोगी दलों के बीच गांठ मजबूत है। इस कार्यक्रम में एक सीट वाले सहयोगी भी शामिल हुए। इसके जरिये बीजेपी ने साफ किया कि वह हर मौके में अपने सहयोगियों के साथ है।

नवंबर में दो और राज्यों झारखंड और महाराष्ट्र में चुनाव होने हैं। इन दो राज्यों में जीत-हार का असर केंद्र की राजनीति पर भी पड़ेगा। कार्यक्रम में एकनाथ शिंदे और अजित पवार को बुलाकर बीजेपी ने आगे की राह आसान कर ली। लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी गठबंधन को महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 17 पर जीत मिली थी। नेताओं और कार्यकर्ताओं के मनोबल को झटका लगा था। लोकप्रिय योजनाओं और चुनाव प्रबंधन की बदौलत हरियाणा में बीजेपी हारी मानी गई बाजी जीत गई। महाराष्ट्र के सहयोगियों के लिए समारोह की झांकी भरोसा दिलाने के लिए काफी है। महाराष्ट्र में भी बीजेपी तीसरी बार लगातार सत्ता हासिल करने के लिए चुनाव में उतरेगी।

दलितों का बीजेपी का सम्मान

पंचकूला में जीतन राम मांझी और चिराग पासवान दोनों को आमंत्रित किया गया था। बिहार में दोनों नेताओं के बीच दलित नेता बनने की होड़ है और बीजेपी दोनों की कॉमन फ्रेंड है। बीजेपी ने दोनों को साथ लाकर एक बार फिर साबित कर दिया कि वह छोटे मतभेदों के बाद भी कुनबे को एकजुट रख सकती है। इसके अलावा जाति से जुड़ा संदेश देने में कामयाब रही। जीतन राम मांझी बिहार के मुसहर बिरादरी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसकी आबादी करीब 2 फीसदी है। संसद में वह अकेले पार्टी के प्रतिनिधि हैं और विधानसभा में उनके सिर्फ 4 विधायक हैं। इसके बाद भी एनडीए में उनका सम्मान है।

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