पराली जलाने से बढ़ रहा प्रदूषण, फेफड़ों के मरीजों के लिए खतरनाक : राजूद्दीन 

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-आईटीआई नगीना के छात्रों के साथ मेवात आरटीआई मंच ने निकाली पर्यावरण जागरूकता रैली
City24news/अनिल मोहनिया 

नूंह | पराली जलाने के दुष्प्रभावों को लेकर मेवात आरटीआई मंच के पर्यावरण केयर अभियान की तरफ से बृहस्पतिवार को औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान नगीना के छात्रों के साथ एक जागरूकता रैली निकाली गई। रैली का नेतृत्व मेवात आरटीआई मंच के संरक्षक राजूद्दीन ने किया। छात्रों ने हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर नारे लगाए “पराली न जलाओ, पर्यावरण बचाओ”, “स्वच्छ हवा, स्वस्थ जीवन” और “हरियाली है जीवन की लाली है”। राजूद्दीन ने कहा कि किसानों को पराली नहीं जलानी चाहिए, क्योंकि इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है और लोगों को सांस संबंधी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड, स्मॉग और सूक्ष्म कणीय पदार्थ फैलते हैं, जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे अस्थमा और एलर्जी जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। वरिष्ठ समाजसेवी राजूद्दीन ने किसानों से अपील की कि वे पराली को जलाने के बजाय जैविक खाद, बायो गैस या चारे के रूप में इस्तेमाल करें, जिससे पर्यावरण भी बचे और खेतों की उर्वरकता भी बनी रहे। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि किसान पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी समझें और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ हवा का संदेश दें। रैली में आईटीआई के प्रशिक्षकों और विद्यार्थियों ने ग्रामीणों से स्वच्छ पर्यावरण और टिकाऊ खेती अपनाने की अपील की। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि वे स्वयं पराली नहीं जलाएंगे और दूसरों को भी इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करेंगे। मौके पर कई मोहम्मद इलियास प्रधान, मोहम्मद शाहिद, आदिल खान, वकील अहमद, नौशाद अली, वीरेंद्र कुमार, प्रदीप सिंह, जितेंद्र कुमार, नसीम सरपंच सांठावाड़ी समेत दर्जनों युवा मौजूद रहे।

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