City24News/नरवीर यादव
फरीदाबाद
| भारतीय राजनीति में लंबे समय से जिस क्षण की प्रतीक्षा थी, वह अब एक निर्णायक मोड़ पर आ खड़ी हुई है। दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने अपने राष्ट्रीय नेतृत्व की बागडोर युवा हाथों में सौंपने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए नितिन नबीन को पार्टी का नया कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है। यद्यपि यह नियुक्ति औपचारिक रूप से अस्थायी कही जा रही है, किंतु जिस प्रकार से इस निर्णय का पार्टी के भीतर और बाहर स्वागत हो रहा है, उससे यह संकेत स्पष्ट हैं कि भविष्य में उन्हें ही पूर्णकालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया जा सकता है। यह नियुक्ति केवल एक संगठनात्मक बदलाव नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति की कार्यशैली, नेतृत्व-चयन और भविष्य-दृष्टि में आए एक बड़े परिवर्तन का उद्घोष है। भारतीय जनता पार्टी संसदीय बोर्ड का यह निर्णय न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अब तक लिए गए साहसिक, अप्रत्याशित और दूरगामी परिणाम देने वाले निर्णयों की श्रृंखला का एक नया और महत्वपूर्ण अध्याय भी है।
नितिन नबीन बिहार की राजनीति में कोई नया नाम नहीं हैं। वे पांच बार विधायक रह चुके हैं और जमीनी राजनीति की बारीकियों से भलीभांति परिचित हैं। संगठन और सरकार-दोनों के अनुभव से संपन्न नितिन नबीन ने भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन किया है। इसके साथ ही संगठन के विभिन्न स्तरों पर उन्होंने जिस अनुशासन, रणनीतिक समझ और नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है, वही उन्हें इस पद के लिए स्वाभाविक विकल्प बनाता है। उनका राजनीतिक व्यक्तित्व केवल भाषणों तक सीमित नहीं, बल्कि संगठन खड़ा करने, कार्यकर्ताओं को जोड़ने और वैचारिक प्रतिबद्धता बनाए रखने की क्षमता से परिपूर्ण है। यही गुण भाजपा की आत्मा भी है-जहां व्यक्ति नहीं, संगठन सर्वोपरि होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति का एक स्थायी गुण रहा है-नए चेहरों पर भरोसा और पीढ़ीगत नेतृत्व का निर्माण। चाहे वह केंद्र सरकार में मंत्रियों का चयन हो, राज्यों में मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति हो या संगठन में बदलाव-मोदी ने बार-बार यह साबित किया है कि वे भविष्य की राजनीति को आज गढ़ने में विश्वास रखते हैं। नितिन नबीन का चयन भी इसी विचारधारा का प्रतिफल है। यह निर्णय संकेत देता है कि भाजपा अब केवल चुनाव जीतने की पार्टी नहीं रहना चाहती, बल्कि अगले दो-तीन दशकों के लिए एक स्थायी वैचारिक और संगठनात्मक नेतृत्व तैयार कर रही है। युवा पीढ़ी, विशेषकर पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं को आकर्षित करने की दृष्टि से यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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