भूमि पेडनेकर बनीं जर्नलिस्ट, दहला देगी सच्ची घटना पर बनी ये फिल्म:’भक्षक’

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City24news@भावना कौशिश

भूमि पेडनेकर की इस साल की पहली फिल्म फरवरी महीने में रिलीज होने जा रही है। वो भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर। उनकी ये मूवी सच्ची घटना पर बेस्ड है, जिसमें बालिका गृह में बच्चियों के साथ होने वाले दुष्कर्म की रूह कंपा देने वाली कहानी है। मेकर्स ने इसका ट्रेलर रिलीज कर दिया है।

‘भक्षक’ की कहानी

फिल्‍म की कहानी में एक स्वतंत्र टीवी रिपोर्टर वैशाली सिंह (भूमि पेडनेकर) और उसका अकेला सहयोगी भास्कर (संजय मिश्रा) है, जो सच के पीछे पड़े हैं। दोनों बिहार में मानव तस्‍करी के गिरोह का पर्दाफाश करने में जुटे हुए हैं। ये दोनों मुनव्वरपुर में बेहद ताकतवर शख्‍स बंसी साहू (आदित्य श्रीवास्तव) के चंगुल से नाबालिग अनाथ लड़कियों को बचाने की कोश‍िश कर रहे हैं। राज्य की कानून व्यवस्था भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। पुलिस असहाय है। कहीं से कोई मदद भी नहीं है, तो क्या दो सामान्य लोग राजनीतिक डर, धमकियों और सामाजिक दबाव का सामना करते हुए अपने मकसद में कामयाब हो पाएंगे? डायरेक्‍टर पुलकित की ‘भक्षक’ इसी के इर्द-गिर्द घूमती है।

‘भक्षक’ मूवी रिव्‍यू

पुलकित ने इस फिल्‍म के जरिए छोटे शहरों के उन हीरोज के साहस की कहानी का जश्‍न मनाने की कोश‍िश की है, जो समय की धूल के साथ कहीं खो जाते हैं। उनके गढ़े किरदारों में एक भोलापन जरूर है, लेकिन वो सत्ता और उसकी ताकत के सामने सच बोलने का साहस करते हैं। वह सिकुड़ती सोशल मीडिया दुनिया में बढ़ती उदासीनता पर भी बात करते हैं।

फिल्‍म का विषय महत्वपूर्ण है और मुख्य किरदारों ने बड़ी ईमानदारी से इसके साथ भी न्‍याय किया है। लेकिन पर्दे पर यह 90 के दशक का मेलोड्रामैटिक हैंगओवर ज्‍यादा लगता है। फिल्म में हर किसी की जुबान पर बंसी साहू का नाम है। कम से कम हम पूरी फिल्‍म में इस नाम को 100 बार सुनते हैं, लेकिन वह उतना खतरनाक या प्रभावशाली नहीं लगता, जितना उसके बारे में बखान किया गया है। अजीब बात यह भी है कि वह इतना ताकतवर होकर भी हर वक्‍त हर किसी की पहुंच में है।

‘भक्षक’ एक इनवेस्‍ट‍िगेटिव-क्राइम थ्रिलर है, लेकिन इसमें ना तो रोमांच है और ना ही खोजबीन। इस कारण यह फिल्म थकाऊ और थोड़ी बोरिंग बन जाती है। कहानी कहने में भी जल्‍दबाजी की गई है, यहां तक कि डर का भाव भी ठीक से उभर नहीं पाता है। जबकि ये सारी चीजें, इस तरह की फिल्‍म के लिए सबसे अहम तत्‍व हैं। पूरी फिल्‍म में शायद ही ऐसा कोई मौका आता है, जब आप उनसे भावनात्‍मक रूप से जुड़ पाते हैं। वैशाली के पति के किरदार को अपनी हिचकिचाहट जाहिर करने लिए स्‍क्रीन पर ज्‍यादा वक्‍त नहीं दिया गया है।

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