बेवल के प्रगतिशील किसान करण सिंह को प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में मिला प्रदेश स्तरीय सम्मान

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-चो चरण सिंह कृषि विवि हिसार में आयोजित दो दिवसीय किसान मेले में की शिरकत
-क्षेत्र के अन्य किसान कर रहे अवलोकन 

City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | कनीना-नारनौल मार्ग स्थित महेंद्रगढ जिले के गांव बेवल में किसान कर्ण सिंह ने रेतीले टीलों में प्राकृतिक खेती कर सफलता का झंडा बुलंद कर दिया है। जिसे लेकर कर्णसिंह को   चोधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार में हाल ही में आयोजित दो दिवसीय किसान मेले में प्रदेश स्तरीय सम्मान से नवाजा गया है। समारोह के मुख्यातिथि विवि के वीसी डाॅ बीआर कंबोज ने उन्हें स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति-पत्र व पटका प्रदान किया। केवीके महेंद्रगढ के कृषि विेशेषज्ञ डाॅ राजपाल सिंह ने बताया कि इस कृषि मेेले में महेंद्रगढ जिले से दो किसान बेवल के करण सिंह व सुदंरह की संतोष देवी शामिल थी। जिन्हें विवि के शिक्षा विस्तार निदेशक डाॅ बलवान सिंह मंडल, डाॅ पाहुजा, संयुक्त निदेशक डाॅ कृष्ण यादव की उपस्थिति में सम्मानित किया गया।  
करण सिंह ने करीब 4 वर्ष पूर्व प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लेकर कार्य शुरू किया था। जो लगातार बढता जा रहा है। करण सिंह का मानना है कि जलवायु के मुताबिक भारत देश में महेंद्रगढ जिले की भूमि नकदी फसल के लिए अति उत्तम है। जहां विभिन्न प्रकार की कैश-क्राॅप का उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता हैं। इस किसान द्वारा चार एकड़ भूमि में पिछले दो वर्ष से प्राकृतिक खेती की जा रही है। उन्होंने बताया कि उनकी ओर से ढाई एकड़ भूमि में गाजर ,चकुंदर, मूली, धनिया, चना, मटर व गोभी की फसल लगाई है। डेढ़ एकड़ रक्बे में गेहू उगाया गया है। जिसकी अच्छी पैदावार की उम्मीद है। पिछले वर्ष उनकी ओर तरबूज लगाए गए थे जिसका उत्साहित करने वाला परिणाम सामने आया था। करीब ढाई लाख रुपये का मुनाफा हुआ था।
प्राकृतिक खेती के लिए अन्य किसानों के प्रेरणा स्रोत बने करण सिंह ने कहा कि उनकी ओर से क्वांटिटी की बजाय क्वालिटी पर फोकस किया जाता है। जिससे सब्जी का टेस्ट भी उत्तम व स्वास्थ्यवर्धक होता है। प्राकृतिक खेती में अच्छी पैदावार लेने तथा पेस्टीसाईड से बचने के लिए देशी विधि से गाय का गोबर,गोमूत्र, बेसन,गुड़ व नीम के पत्तो का घोल तैयार कर उसका स्प्रे किया जाता है। क्षेत्र में पानी की समस्या होने के चलते उनकी ओर से गेहू में  टपका सिंचाई विधि अपनाई जा रही है। जिसमें एक एकड़ में खपत होने वाले पानी का छह एकड़ भूमि पर प्रयोग हो जाता है। गेहू में फुटाव भी खूब हुआ है। देशी विधि से की गई खेती से पैदावार भी बेहतर होने की उम्मीद है। उनकी ओर से प्राकृतिक खेती आधुनिक तरीके से की जा रही है। जिनमें किसी प्रकार का रासायनिक खाद व पेस्टीसाईड का उपयोग नहीं किया जाता है। क्षेत्र से अन्य किसान भी प्राकृतिक खेती का अवलोकन करने के लिए उनके पास पंहुच रहे हैं। इस मौके पर किसान महावीर सिंह, शमशेर सिंह, मुकेश कुमार, गूगन सिंह उपस्थित थे।

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