विश्व स्ट्रोक दिवस पर जागरूकता सेमिनार का आयोजन

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शरीर के किसी अंग की कमजोरी, चेहरे का विचलन, बोलने में कठिनाई, संतुलन बनाए रखने में कठिनाई के रूप में प्रकट हो सकता है स्ट्रोक
City24news/सुनील दीक्षित
कनीना
| विश्व स्ट्रोक दिवस के मौके पर मंगलवार को जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें एसएमएस जयपुर में कार्यरत न्यूरोलोजी विभाग के प्रसिद्व चिकित्सक डा अभिषेक भार्गव ने आमजन को अचानक से होने वाले स्ट्रोक के लक्षण तथा उसके बचाव की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ये स्ट्रोक शरीर के किसी अंग की कमजोरी, चेहरे का विचलन, बोलने में कठिनाई, संतुलन बनाए रखने में कठिनाई के रूप में प्रकट हो सकता है। यदि किसी व्यक्ति को उपरोक्त लक्षण दिखाई दे तो जल्द से जल्द अस्पताल में पंहुचकर उपचार करवाना जरूरी है। स्टोक आने के 4 घंटे के अंतराल में इलाज शुरू कर दिया जाए तो बिमारी से बचा जा सकता है। 4 घंटे की समयावधि को गोल्डन ओवर माना गया है। जिससे बिमारी को उल्टा जा सकता है।
कनीना खंड के गांव बोजावास में आयोजित इस सेमिनार में उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में अधिकांश आबादी डिप्रेशन में जीवन व्यतीत कर रही है। जिसके कारण उनके स्वभाव में चिडचिडापन बना रहने सहित बीपी-शूगर जैसी बिमारी घर बना लेती हैं। ऐसे व्यक्तियों में स्ट्रोक आने कर अधिक संभावना रहती है। स्ट्रोक आने पर शीघ्रता से उपचार मिल जाता है तो स्ट्रोक के गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।
दूसरी ओर दीपावली के त्योंहार पर बाजार में मिलावटी मिठाईयों तथा अन्य खाद्य वस्तुओं की बिक्री बढ जाती है। दूध ओर दूध से बनी मिलावटी मिठाई के सेवन से किडनी तथा लीवर खराब होने की समस्या बढ सकती है। आमजन बाजार से मिलने वाली मिठाई से परहेज कर घर पर बनी मिठाई व खाद्य वस्तुओं को प्रयोग करे तो बिमारी मोल लेने से बचा जा सकता है।
एक्सपर्ट डा जेके मोरवाल की राय में खाद्य वस्तुओं में डिटर्जेंट पाउडर व कास्टिक सोडा आदि का इस्तेमाल किया जाता है जिसके सेवन से उल्टी-दस्त की संभावना रहती है। इसकी मात्रा अधिक होने पर पूरे शरीर में इंफेक्शन बढ जाता है। लीवर व किडनी भी डैमेज हो सकती है। उन्होंने बताया कि महेंद्रगढ जिले में खाद्य वस्तुओं के पिछले दिनों करीब सवा सौ सैंपल एकत्रित किए गए थे जिनमें करीब पचास फीसदी फेल पाए गए।

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