शिक्षण संस्थानों को रैगिंग मुक्त बनाने के लिए उठाए जाएं उचित कदम-प्रदीप सिंह मलिक

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 City24news@अनिल मोहनियां

नूंह | अतिरिक्त उपायुक्त प्रदीप सिंह मलिक ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में बोले गए शब्दों, लिखित या किसी कार्य व अन्य प्रकार से किसी नए या जूनियर छात्र को चिढ़ाने के उद्देश्य से किया गया व्यवहार या अशिष्टता को रैगिंग की श्रेणी में रखा गया, जिसे उच्छृंखल आचरण के रूप में परिभाषित किया गया है। यह एक दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। कालेज व शिक्षण संस्थानों में रैगिंग नहीं होने व इसे रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएं। इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा विस्तृत गाइडलाइन जारी की गई हैं, जिनकी जिला के शिक्षण संस्थानों में अनुपालना सुनिश्चित हो। 

अतिरिक्त उपायुक्त ने यह जानकारी सोमवार को वर्चुअल माध्यम से जिला के शिक्षण संस्थानों के प्रिंसीपल, प्रतिनिधि, पुलिस सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों को जिला स्तरीय एंटी रैगिंग समिति की बैठक में दी। उन्होंने कहा कि यूजीसी ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को सख्त निर्देश जारी किए हैं, जिसमें रैगिंग विरोधी उपायों को अनिवार्य रूप से लागू करने पर जोर दिया गया है। इसके लिए सभी शिक्षण संस्थानों में एंटी रैगिंग सैल बनाने, संस्थानों में जागरुकता कैंप या वर्कशाप आयोजित कर इसके दुष्प्रभावों व कानूनी पहलुओं की जानकारी दी जाए। अभी नए शैक्षणिक सत्र का शुभारंभ होगा, जिसके बाद रैगिंग जैसे गतिविधि अधिक होने की संभावना रहती है। एंटी रैगिंग सैल सक्रियता से कार्य करे तथा कालेज के अंदर व बाहर ऐसी गतिविधियों की रोकथाम के लिए कार्य करे तथा संस्थान को रैगिंग मुक्त बनाए रखे। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों में रैगिंग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। इस प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग रोकने के उद्देश्य से विशेष रूप से नियम बनाए गए हैं। यूजीसी द्वारा जारी नोटिस में स्पष्ट कहा गया है कि रैगिंग को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करने में विफल रहने वाले या इन नियमों के अनुसार कार्य करने में उपेक्षा करने वाले, रैगिंग की घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करने में विफल रहने सहित, संस्थानों को दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इसमें एंटी-रैगिंग समितियों और दस्तों की स्थापना, एंटी-रैगिंग सेल का गठन, महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे की स्थापना और छात्रावासों में औचक निरीक्षण करना आदि शामिल है।

उन्होंने बताया कि यूजीसी ने छात्रों के साथ नियमित बातचीत और परामर्श सत्र, संभावित ट्रिगर्स की पहचान करने, संस्थान के प्रॉस्पेक्टस और सूचना पुस्तिकाओं में एंटी-रैगिंग चेतावनियों को शामिल करने और औचक छात्रावास निरीक्षण जैसे उपायों को लागू करने की सिफारिश की है। तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए, यूजीसी ने रैगिंग की घटनाओं से प्रभावित परेशान छात्रों के लिए हेल्पलाइन विवरण सांझा किया है। विद्यार्थी टोल फ्री नंबर-1800-180-5522 पर राष्ट्रीय एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन पर शिकायत दे सकते हैं या helpline@antirlogging.in पर ईमेल के माध्यम से एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन से संपर्क कर सकते हैं। बैठक में शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधियों ने जानकारी दी कि उनके शिक्षण संस्थानों में एंटी रैगिंग सैल का गठन किया जा चुका है और वे अपने शिक्षण संस्थानों में ऐसी गतिविधियों नहीं होने देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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