आईएमटी में आंदोलनरत किसानों के साथ फिर विश्वासघात — मेवात के किसानों से सरकार की दोहरी नीति उजागर
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | आईएमटी रोजका मेव में अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत किसानों के साथ एक बार फिर प्रशासन और सरकार द्वारा विश्वासघात किए जाने का आरोप लगा है। किसान संघर्ष समिति का कहना है कि हरियाणा सरकार मेवात के किसानों को खुलेआम लूट रही है — जहां किसानों से भूमि अधिग्रहण मात्र 1,136 प्रति वर्ग मीटर की दर से किया गया, वहीं अब वही जमीन सरकार द्वारा कंपनियों को 12,240 प्रति वर्ग मीटर की दर पर बेची जा रही है।
सरकार का 50 गुना मुनाफा
किसानों के अनुसार, सरकार ने जिस जमीन को किसानों से 46 लाख रुपये प्रति एकड़ में खरीदा था, उसे अब 23 करोड़ रुपये प्रति एकड़ में बेच रही है। इसका सीधा अर्थ है कि सरकार किसानों की जमीन पर 50 गुना तक मुनाफा कमा रही है। समिति ने इसे किसानों के साथ सीधा धोखा बताया है।
6 नवंबर की किसान महापंचायत का वादा टूटा
6 नवंबर को किसान संघर्ष समिति द्वारा आयोजित महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के कई नेता शामिल हुए थे।
महापंचायत के दबाव में प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया था कि जल्द ही उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात कराई जाएगी और तब तक एचएसआईआईडीसी के सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाएगी।
लेकिन, किसानों के अनुसार, अगले ही दिन प्रशासन ने अपने वादे से मुकरते हुए निर्माण कार्य रोकने से इंकार कर दिया और मुख्यमंत्री के साथ बैठक पर भी कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया।
रिहाइशी प्लॉट पर भी धोखा
समिति के नेताओं ने बताया कि जिन किसानों से एक एकड़ से अधिक भूमि अधिग्रहित की गई थी, उन्हें समझौते के तहत 400 वर्ग मीटर का प्लॉट रिहाइश के लिए देने की बात कही गई थी। लेकिन अब सरकार वही जमीन किसानों को 12,240 प्रति वर्ग मीटर की दर से वापस देने की योजना बना रही है।
इस हिसाब से किसानों को 400 वर्ग मीटर के लिए 48.96 लाख रुपये चुकाने होंगे — जो उस एक एकड़ भूमि के मुआवजे से भी अधिक है, जिसे सरकार ने उनसे लिया था। समिति का कहना है कि यह “किसानों से दोनों हाथों से लूट” के समान है।
मेवात को मिला सबसे कम मुआवजा
किसान संघर्ष समिति का आरोप है कि पूरे एनसीआर क्षेत्र में मेवात के किसानों को सबसे कम मुआवजा दिया गया है, जबकि उनकी भूमि भी उतनी ही कीमती है जितनी गुरुग्राम या फरीदाबाद की। साथ ही, किसानों के विरोध करने के अधिकार पर भी प्रशासन द्वारा दबाव बनाया जा रहा है।
विश्वास खो रहा है प्रशासन और सरकार पर जनता का भरोसा
किसान संघर्ष समिति का कहना है कि प्रशासन की इस तरह की वादाखिलाफी से सरकार पर जनता का विश्वास तेजी से घट रहा है और किसानों की सहनशीलता की परीक्षा ली जा रही है। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही किसानों की मांगों का समाधान नहीं किया गया, तो एसकेएम से सलाह लेकर आगामी आंदोलन की घोषणा की जाएगी।
धरने पर बैठे किसानों की मुख्य मांगे
मुख्यमंत्री से किसानों की शीघ्र मुलाकात कराई जाए। एचएसआईआईडीसी द्वारा चल रहे सभी निर्माण कार्यों पर तत्काल रोक लगाई जाए।अधिग्रहित भूमि का उचित पुनर्मूल्यांकन कर उचित मुआवजा दिया जाए। रिहाइशी प्लॉट किसानों को वादे के अनुसार नि:शुल्क या रियायती दर पर दिए जाएं। किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन और अभिव्यक्ति के अधिकार की रक्षा जाए।
