पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने पशुपालकों के लिए जलभराव से संबंधित एडवाइजरी की जारी।

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-जलभराव की स्थिति में एक निकासी योजना बनाकर तैयार रखें पशुपालक।
 -एडवाइजरी का पशुपालक करें पालन, पशुओं को दें कृमि नाशक दवा ।
– पशु स्वास्थ्य रक्षा के लिए पशु चिकित्सकों के नेतृत्व में 27 टीमों का गठन : डॉ वीरेंद्र सहरावत ।
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | पशुपालन एवं डेयरी विभाग पलवल के उपनिदेशक डा. विरेंद्र सहरावत ने बताया कि वर्षा ऋतु के दौरान जिला में जलभराव की स्थिति में पशुओं व जिले की गौशाला में रह रहे गौवंश के लिए पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा जरूरी हिदायतें जारी की गई हैं। उन्होंने बताया कि उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा के दिशा-निर्देशों के अनुसार संबंधित पशु चिकित्सकों को अपने क्षेत्र का दौरा करके स्थिति का पूर्ण निरीक्षण करने और वहां आवश्यक पशु स्वास्थ्य रक्षक सामान सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने पशुपालकों से अपील करते हुए कहा कि सभी पशुपालक विभाग द्वारा जारी जल-भराव से संबंधित हिदायतों को जरूर अपनाएं। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा पशुओं को विभिन्न संक्रामक बीमारियों जैसे मुंहखुर, गलघोटू, स्वाइन फीवर, शीप-पॉक्स इत्यादि से बचाव का टीकाकरण कर दिया गया है।      

   उपनिदेशक डा. विरेंद्र सहरावत ने बताया कि पशुपालक अपने पशुओं को विभाग द्वारा लगाया जाने वाला 12 अंकों का टैग अवश्य लगवाकर रखें, ताकि किसी भी आपात स्थिति में पशु की पहचान की जा सके। वर्षा ऋतु में पशु चिकित्सक से सलाह लेकर अपने सभी पशुओं को कृमि नाशक दवा जरूर दें। उन्होंने बताया कि पशुओं का विभाग द्वारा शीघ्र ही रियायती दरों पर शुरू होने वाली पशुधन बीमा योजना में बीमा अवश्य करवाएं, पशुओं की अकाल मृत्यु के समय यह बीमा बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। पशुपालक मौसम की भविष्यवाणी और जलभराव के संभावित खतरों के बारे में जागरूक रहें। अपने पशुधन के लिए पशुपालक तथा गौशाला प्रबंधक कमेटी जलभराव की स्थिति में एक निकासी योजना बना कर रखें, जिसमें ऊंचाई पर सुरक्षित आश्रय शामिल हो, ताकि जलभराव की आशंका होने पर अपने पशुओं को योजना अनुसार निर्दिष्ट स्थान पर स्थानांतरित कर सकें। यदि संभव हो तो उपयोग के लिए चारा, पानी इत्यादि की कुछ मात्रा को जलभराव से सुरक्षित किसी ऊंचे एवं सुविधा जनक पहुंच वाले स्थान में भंडारण करके रखें। सभी प्रकार के कीटनाशक को किसी सुरक्षित जगह पर रखना चाहिए, ताकि ऐसी चीजें पानी में घुलकर पानी को जहरीला न कर सकें। जल भराव के दौरान पशुओं को कच्ची दीवारों, बिजली की तारों, खंभों आदि से दूर बांधे।  

 उपनिदेशक डा. सहरावत ने बताया कि बरसात के मौसम में मक्खी, मच्छर बहुत बढ़ जाते हैं, जो पशुओं के लिए परेशानी का कारण तो बनते ही हैं, साथ ही बीमारियां फैला कर पशुओं की उत्पादन क्षमता में भी कमी लाते हैं। इनसे बचाव के लिए कीट-नाशक दवाइयों के छिडक़ाव के अलावा मच्छरदानी एक अच्छा उपाय है। उन्होंने बताया कि पशुपालक जलभराव के दौरान और उसके बाद स्थानीय पशु चिकित्सा कर्मियों के साथ नियमित संपर्क में रहें, जिससे पशुपालकों को आवश्यक सूचनाएं और सहायता समय पर मिल सके। उपनिदेशक डा. सहरावत ने बताया कि उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा के दिशा-निर्देशों के अनुसार जिला के विभिन्न क्षेत्रों में पशु स्वास्थ्य रक्षा के लिए पशु चिकित्सकों के नेतृत्व में 27 टीमों का गठन कर दिया गया है और जिला कार्यालय में एक बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित कर दिया गया है।

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