सारी हदें पार कर चुकी है: कांग्रेस

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City24news/ब्यूरो
 फरीदाबाद। दिल्ली को छोटा हिन्दुस्तान और दिल वालों का शहर कहा जाता है, लेकिन पिछले 10-12 वर्षों में यहां जितनी राजनीतिक दिलग्गी हुई, वह बात किसी से छुपी हुई नहीं है। चाहे केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी और एनडीए हो या फिर राज्य में सत्तारूढ़ आप और इंडिया गठबंधन, जिससे कभी आप जुड़ती है तो कभी ‘तलाक’ ले लेती है! और देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस जो अपने नेतृत्व वाले गठबंधन या फिर अपने द्वारा समर्थित गठबंधन का अपनी सुविधा के अनुसार ‘गला मरोड़ने’ में माहिर समझी जाती है, ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में राजनीतिक किंतु-परन्तु की सारी हदें पार कर चुकी हैं।

चूंकि इन राजनीतिक दलों ने खुद के लिए कोई आदर्श राजनीतिक नियम और उसके निमित्त बाध्यकारी कानून नहीं बनाकर रखे हैं, या फिर नाममात्र का बनाए हुए हैं, जिसकी व्याख्या ये लोग अपने मनमुताबिक कर लेते हैं, इसलिए इनकी सारी राजनीतिक हरकतें जायज समझी जाती हैं। वहीं, इनको तोहफा या सजा बस जीत-हार के माध्यम से जनता जनार्दन ही देती आई है। यहां भी वह मतदाता दलित-महादलित, पिछड़ा-अत्यंत पिछड़ा, सवर्ण-गरीब सवर्ण, आदिवासी-अल्पसंख्यक, महिला-पुरूष, युवा-बुजुर्ग, किसान-मजदूर, कामगार या पूंजीपति आदि इतने खानों में विभाजित है कि उनकी फूट डालो और शासन करो की नीति अक्सर सफल होती आई है।

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