धनखड़ को प्रदेश अध्यक्ष हटाए जाने के बाद, जाटों में पैठ बनाने की कवायद
City24news@अशोक कौशिक
नारनौल | हरियाणा की राज्यसभा सीट के लिए भारतीय जनता पार्टी ने नए फेस का ऐलान कर दिया है। इस बार हरियाणा से सुभाष बराला भाजपा के उम्मीदवार होंगे। हाल ही में दिल्ली में दो दिन के प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से बैठक के बाद अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल गया।
इस सीट को लेकर हरियाणा में तीन बड़े चेहरों की चर्चा चली थी। सबसे पहला पहला नाम शुरुआत बराला और दूसरा राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी देख रहे ओमप्रकाश धनखड़ का नाम था। तीसरा नाम भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे पंडित रामबिलास शर्मा का भी था। इसके अलावा स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का भी नाम जोरों पर लिया जा रहा था।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपने नजदीकी सुभाष बराला की परैवी भी कर रहे थे। जबकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष ओपी धनखड़ को राज्यसभा भेजने के पक्ष में थे। भाजपा के लोगों का मानना था कि ब्राह्मण डीपी वत्स की जगह पंडित रामबिलास शर्मा को भेजा जा सकता है। यह भी कहां जा रहा था इन सब बातों को लेकर भाजपा किसी एक नाम के साथ चौंकाने वाला फैसला ले सकती है।
2019 में हुए विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी सीएम मनोहर लाल ने सुभाष बराला को हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो का अध्यक्ष बना दिया था। इससे पहले बराला हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। क्योंकि बराला मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के काफी नजदीकी है इसलिए इस बार मुख्यमंत्री ने खुद ही उसके नाम को लेकर लाबिंग की। इस कारण उन्होंने प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा से खुद चर्चा की।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दिल्ली प्रवास के बाद सुभाष बराला को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने के संकेत दे दिए थे। जेपी नड्डा के हरियाणा से राज्यसभा जाने की अटकलें पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि पार्लियामेंट बोर्ड इसको तय करेगा लेकिन नड्डा के नाम पर पार्लियामेंट बोर्ड को इस पर सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सीएम के इस बयान के बाद यह माना जा रहा था कि बराला के नाम पर केंद्रीय नेतृत्व ने मोहर लगा दी है।
याद रहे की 2014 में रामबिलास शर्मा के नेतृत्व में भाजपा ने हरियाणा में बहुमत हासिल किया था। उस समय रामबिलास शर्मा के अलावा राव इंद्रजीत सिंह, ओपी धनखड़ तथा अन्य दो-तीन नेताओं को मुख्यमंत्री के तौर पर अलग-अलग सभाओं में प्रोजेक्ट किया गया था। 2014 में पंडित रामबिलास शर्मा को एक तरफ करके भाजपा के शीश नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हरियाणा प्रभारी होने के समय साथी बने मनोहर लाल खट्टर खट्टर को तवज्जो देकर उनकी मुख्यमंत्री के रुप में ताजपोशी करके सबको हैरत में डाला था। एक समय ऐसा था जब पंडित रामविलास शर्मा हरियाणा में मंत्री थे और मनोहर लाल खट्टर संगठन का काम देखते थे। तब उनको रामबिलास शर्मा से मिलने के लिए घंटे प्रतीक्षा करनी पड़ती थी। भाजपा के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि मनोहर लाल खट्टर तभी से पंडित रामबिलास शर्मा से ईर्ष्या रखते हैं।
राज्यसभा में इससे पहले पंडित डीपी वत्स की भाजपा की तरफ से इकलौती सीट थी। रामविलास शर्मा के अनदेखी कर अपने चाहते सुभाष बराला की पहल करके खट्टर ने हरियाणा में फिर से ब्राह्मणों को बड़ा झटका दिया है। इसे पूर्व मुख्यमंत्री का लोकसभा सांसद अरविंद शर्मा के साथ भी मतभेद रहा है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि हरियाणा के जाटों ने कभी भी भाजपा नेताओं को नहीं अपनाया। उनका रुझान देवीलाल, ओमप्रकाश चौटाला, सर छोटूराम के नाती चौधरी वीरेंद्र सिंह तथा भूपेंद्र सिंह हुड्डा से ज्यादा रहा है। मुख्यमंत्री का यह दांव लोकसभा चुनाव में कहीं उल्टा ना पड़ जाए क्योंकि जाट तो भाजपा के साथ आने से रहे उल्टा ब्राह्मण भाजपा से खफा ना हो जाए।
देश के 15 राज्यों की 56 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है इन सभी सीटों पर 27 फरवरी को मतदान होगा 13 राज्यों के 50 राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल 2 अप्रैल को समाप्त हो रहा है जबकि दो राज्यों के शेष 6 सदस्य 3 अप्रैल को रिटायर्ड हो जाएंगे जिन 15 राज्यों में राज्यसभा चुनाव होने हैं उनमें हरियाणा के साथ उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और हिमाचल प्रदेश शामिल है।