नूंह के तिरवाड़ा में तीन दिवसीय इस्लामिक जलसे की धूम, उमड़ा जनसैलाब

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City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | ‘मोहब्बत की चाय’ और ‘वेज बिरयानी’ बनी आकर्षण का केंद्र मेवात की धरती पर दिखी हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल, प्रशासन ने की चाक-चौबंद व्यवस्था

27 अक्टूबर को होगा जलसे का समापन, लाखों लोग करेंगे अमन-चैन और भाईचारे की दुआ

हरियाणा के नूंह जिले के तिरवाड़ा गांव में शुक्रवार से शुरू हुआ तीन दिवसीय इस्लामिक जलसा धार्मिक आस्था और सामाजिक एकता का संगम बन गया है। यहां पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। आसपास के गांवों के अलावा राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र तक से लोग वाहनों और पैदल जत्थों में पहुंचे रहे हे पूरा इलाका श्रद्धालुओं से खचाखच भरा दिखाई देने लगा। अनुमान है कि जलसे में यह संख्या दो से ढाई लाख तक पहुंच सकती है। आयोजन स्थल पर लाउडस्पीकर, एलईडी स्क्रीन और अस्थायी तंबूओं की व्यवस्था की गई है ताकि दूर बैठे लोग भी वक्ताओं के संदेश सुन सकें।

श्रद्धालुओं के लिए की गई पुख्ता व्यवस्थाएं

आयोजन समिति और जिला प्रशासन ने जलसे को सफल बनाने के लिए सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात पर खास ध्यान दिया है। करीब 1,000 से अधिक वॉलंटियर पार्किंग, दिशा-निर्देश और व्यवस्था बनाए रखने में लगे हैं। जलसे स्थल पर अस्थायी शौचालय, चिकित्सा शिविर और साफ पीने के पानी की टंकियां लगाई गई हैं। नूंह प्रशासन, पुलिस विभाग, स्वास्थ्य और राजस्व टीमों ने संयुक्त रूप से मोर्चा संभाला हुआ है। एसडीएम नगीना और थाना प्रभारी तिरवाड़ा स्वयं स्थल पर मौजूद रहे। ट्रैफिक व्यवस्था के लिए नूंह-अलवर रोड और तिरवाड़ा बाईपास पर विशेष रूट डायवर्जन लागू किया गया है।

पहले दिन पहुंचे प्रमुख धार्मिक और सामाजिक हस्तियां

जलसे के दिन तबलीगी जमात के अमीर हजरत मौलाना शाद ने अपने बयान में इंसानियत, नेकी और भाईचारे का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “मजहब कभी नफरत नहीं सिखाता, बल्कि हर धर्म एक-दूसरे के सम्मान का पाठ पढ़ाता है।”

मौके पर हरियाणा वक्फ बोर्ड के प्रशासक चौधरी जाकिर हुसैन, पूर्व मंत्री चौधरी रहीस खान और भाजपा प्रत्याशी रहे चौधरी ऐजाज खान ने मंच साझा किया। इन नेताओं ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे जलसे समाज में शांति, एकता और नैतिकता को बढ़ावा देते हैं।

भाईचारे की मिसाल: हिंदू व्यापारी ने की बिरयानी सेवा

इस बार जलसे में हिंदू-मुस्लिम एकता की झलक सभी के लिए प्रेरणा बनी।

स्थानीय व्यापारी राजेश गर्ग ने पूरे आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं के लिए वेज बिरयानी की निःशुल्क व्यवस्था की है। उन्होंने बताया कि रोजाना 100 बड़े पतीलों में बिरयानी तैयार होती है और हजारों लोगों को परोसी जाती है। राजेश गर्ग ने कहा, “मेवात की मिट्टी मोहब्बत से महकती है। यहां धर्म नहीं, दिलों का रिश्ता चलता है। बिरयानी सेवा उसी का प्रतीक है।”

‘मोहब्बत की चाय’ से मिला एकता का संदेश

बामसैफ फाउंडेशन की ओर से लगाया गया “मोहब्बत की चाय” स्टॉल जलसे की पहचान बन गया।

संस्था के सदस्य लोगों को मुफ्त चाय पिलाते हुए एक ही संदेश दे रहे हैं “नफरत छोड़ो, मोहब्बत बांटो।”

हर वर्ग, हर धर्म के लोग इस स्टॉल पर एक साथ बैठकर चाय की चुस्की लेते हुए एकता, शांति और सद्भाव का संदेश दे रहे हैं।

वक्फ बोर्ड प्रशासक बोले ‘मेवात दे रहा मोहब्बत का पैगाम’

वक्फबोर्ड प्रशासक चौधरी जाकिर हुसैन ने कहा कि यह जलसा मेवात ही नहीं, पूरे देश के लिए अमन और भाईचारे का प्रतीक है। उन्होंने कहा, ‘हजरत मौलाना शाद जैसे विद्वान हमें इंसानियत की राह दिखा रहे हैं। इस जलसे से पूरे प्रदेश में शांति और सामाजिक सौहार्द का संदेश जाएगा।’

27 अक्टूबर को होगा जलसे का समापन

तीन दिवसीय इस्लामिक जलसा का 27 अक्टूबर को सम्पन्न होगा। समापन के दिन लाखों श्रद्धालु एक साथ हाथ उठाकर देश में अमन-चैन, भाईचारे, एकता और इंसानियत की सलामती के लिए दुआ करेंगे। यह जलसा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि मेवात की गंगा-जमुनी तहजीब और साझा संस्कृति का जीवंत उदाहरण है।

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